नोएडा: देश के बिजनेसमैन बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जमीन देने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब किया है।
इस मामले में अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी। कोर्ट ने विवादित जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण या बदलाव पर रोक लगा रखी है।
इससे पहले 30 अगस्त को हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और यमुना एक्स्प्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से संबंधित जमीन पर लगे पेड़ काटने के बारे में हलफनामा देने के लिए कहा था।
जिसके बाद यूपी सरकार की तरफ से गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी ने कोर्ट में हलफनामा दायर करके कहा कि उन्होंने उस जगह का दौरा किया और देखा कि कुछ हरे पौधे जो हाल ही में लगाए गए थे उन्हें उखाड़ दिया गया है।
लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है, क्यूंकि तस्वीरों में पेड़ काफी काफी बड़े दिखाई दे रहे थे। अदालत में दायर की गए पूरक हलफनामे में जेसीबी मशीन की मदद से पेड़ उखाड़े जाते दिख रहे हैं।
कल हाई कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण द्वारा दायर किए हलफनामे को एक दूसरे के विरोधी बताया हैं।
एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि उनका कोई अधिकारी पेड़ कटवाने नहीं गया था जबकि राज्य सरकार के मुताबिक प्राधिकरण के अधिकारी पेड़ कटवाने गये थे।
आपको बता दें की असफ खान नामक याचिकाकर्ता ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को फूड पार्क बनाने के लिए नोएडा में दी गई 4500 एकड़, जोकि पतंजलि को 30 साल की लीज पर दी गई है. के आवंटन पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दी थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से दलील की थी कि इस जमीन पर लगे गुए 600 पेड़ काटने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।