दिल्ली के रामजस कॉलेज में आजादी के नारे लगाने के विवाद में नया मोड़ आ गया है। पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 5 प्रोफोसर्स पर भीड़ का नेतृत्व करने और आज़ादी के नारे लगवाने का आरोप लगाया है ।
आज़ादी के इन नारों को लगाने के बाद कैंपस में जमकर हंगामा हुआ था । हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने इस घटना की रिपोर्ट अदालत के सामने पेश करने से पहले बताया कि 21 फरवरी को स्टूडेंट्स का एक ग्रुप पांच प्रोफेसर्स के नेतृत्व में नारे लगाते हुए कॉन्फ्रेंस रूम से बाहर आ गया था। यह नारे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के खिलाफ लगाए जा रहे थे।
नौ पेज की रिपोर्ट के मुताबिक आजादी के नारे लगाने वाले ग्रुप का नेतृत्व प्रोफेसर मुकुल मांगलिक, विनीता चंद्रा, देबराज मुखर्जी, एनए जैकब और बेनू लाल ने किया था। वो नारे थे, ‘हम क्या मांगे आजादी’, ‘कश्मीर मांगे आजादी’, ‘बस्तर मांगे आजादी’, ‘ये प्यारी प्यारी आजादी’, ‘ये सुंदर वाली आजादी’, ‘पुलिस तुम बाहर जाओ’, ‘हमारा उमर वापस लाओ’। इसमें कहा गया है कि इस ग्रुप ने उस दिन कैंपस में विरोध प्रदर्शन भी किया था।
पुलिस के आरोपों को खंडन करते हुए, प्रोफेसर देबराज मुखर्जी ने कहाकि जब यह घटना हुई उस दौरान वह कॉन्फ्रेंस रूम में मौजूद ही नहीं थे। उन्होंने कहा कि वह न तो उस मार्च में शामिल हुए थे और न ही वहां मौजूद थे जहां आजादी के नारे लगाए लगा गए थे।
कोर्ट के आदेश के मुताबिक ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) की ओर से फाइल की गई रिपोर्ट में प्रशासनिक स्टाफ और शिक्षकों को भी जांच के दायरे में रखा गया।