कानपुर की गीता शर्मा हर साल रखती हैं रोज़ा और पाबंदी से पढ़ती हैं नमाज़

कानपूर: मैं हिंदू हूँ, लेकिन विश्वास रखता हूँ मोहम्मद पर, कोई अंदाज़ तो देखे मेरी काफिर अदाई का, यह शेर कानपुर की रहने वाली गीता शर्मा पर पूरी तरह फिट आ रहा है। गीता शर्मा एक हिंदू महिला हैं, लेकिन पूरे एहतमाम और आस्था व सम्मान के साथ रमजान के रोज़े रखती हैं।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के अनुसार गीता शर्मा ने इसके लिए नमाज़ भी सीखा है। उनके जज़्बा को लोग हिन्दू मुस्लिम एकता और राष्ट्रीय एकता का उदाहरण करार दे रहे हैं।

कानपुर शहर के श्याम नगर क्षेत्र में रहने वाली गीता शर्मा, जो एक हिंदू परिवार में पैदा हुईं और अब एक शादीशुदा जीवन गुज़ार रही हैं, उनके पति प्रमोद शर्मा के कई मुस्लिम परिवारों से बेहतर संबंध हैं, जिनसे प्रभावित होकर गीता शर्मा इस साल रमजान महीने के रोज़े रख रही हैं।

गीता शर्मा ने रमज़ान के अब तक के सारे रोज़े रखे हैं और वह इसके लिए सेहरी, इफ्तार और नमाज़ का वैसे ही एहतमाम करती हैं, जैसे आम मुसलमान करते हैं। उनका कहना है कि वह रमज़ान के सभी रोज़े रखेंगी।

उन्होंने अपने घर पर काम के लिए आने वाली मुस्लिम लड़कियों से नमाज़ पढ़ना सीखा है और वह समय की पाबंदी के साथ नमाज़ पढ़ती हैं और इफ्तार करती हैं।

उनके पति का कहना है कि इबादत करने में कोई गुरेज़ नहीं होना चाहिए चाहे वह किसी भी रूप में हो। आज समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जो लोगों को बांटने का काम करते हैं, लेकिन हम सब एक ही मालिक के बंदे हैं। उधर गीता शर्मा का भी कहना है कि वह दिन में भगवान की पूजा भी करती हैं तथा अल्लाह की इबादत भी।

प्रमोद शर्मा के 45 वर्षीय पुराने मुस्लिम दोस्त असद कमाल इराकी का कहना है कि इस तरह गीता शर्मा मानवता और मज़हबी एकता का एक मिसाल पेश कर रही हैं कि देश में रहने वाले हर धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्मों का सम्मान करते हुए मिलजुल कर रहना चाहता है, लेकिन कुछ राजनीतिक शक्तियां उन्हें विभाजित करने की कोशिश में लगी रहती हैं.

मौलाना अब्दुल का कहना है कि ऐसी उदाहरण नफरत का ज़हर फैलाने वाले नेताओं के लिए एक जवाब है और इस देश की धार्मिक एकजुटता और वास्तविक की तस्वीर पेश करती हैं।