अडानी और कोयला खदान का झोल, सात जनम में आपको ये खेल नहीं समझ आएगा: रवीश कुमार

ऑस्ट्रेलिया का abc चैनल कल दिन भर ट्विट करता रहा कि भारत के अदानी ग्रुप के बारे में बड़ा ख़ुलासा करने जा रहा है। मैं देख नहीं सका, मगर ये लिंक मिला है। ऑस्ट्रेलिया में अदानी ग्रुप को मिल चुके कोयला खदान के लाइसेंस को लेकर विवाद हो रहा है।

तभी तो आस्ट्रेलिया का इतना बड़ा चैनल भारत आकर कई हफ़्तों तक इस ग्रुप के बारे में पड़ताल करता है। यह भी शायद पहली बार हुआ होगा कि भारत की किसी कंपनी को लेकर मोंसांटो टाइप का विवाद बाहर की धरती पर हो रहा हो।

भारत में जब economy and political weekly ने इस समूह के बारे में ख़बर छापी तो संपाद प्रॉंजय गुहा ठाकुर्ता को इस्तीफ़ा देना पड़ा था क्योंकि EPW के ख़िलाफ़ अदानी ग्रुप ने मानहानि कर दिया था। बाद में the wire ने उस लेख को छापा भी। शायद इनके खिलाफ मानहानि का मुक़दमा नहीं हुआ। मगर मेनस्ट्रीम माडिया चुप रहा। आपको उस लेख को इस संदर्भ में दोबारा पढ़ना चाहिए।

क्या पता अब abc चैनल के ख़िलाफ़ भी मानहानि का मुक़दमा हो जाए? यह ख़बर हट जाए। मुझे कारपोरेट के निवेश की जटिलताएँ कम समझ आती हैं, जब सब लिख लेते हैं तो उनको पढ़ समझ कर लिखता हूँ । कोयला खदान तो भारत में ही बहुत है। वहाँ जाने की क्या ज़रूरत? वैसे झारखंड के चतरा या कहीं और से लोग बहुत फोन करते हैं कि यहाँ बुर हाल है। क्या है, क्यों है, आप ख़ुद भी पता कीजिए।

जब रिपोर्टिंग ही नहीं होगी तो आपको पता कैसे चलेगा कि करप्शन हुआ है या नहीं। तभी तो लोग दावा करके निकल जाते हैं कि एक करप्शन नहीं हुआ है। हँसा कीजिए। सबूत का दावा करते हैं मगर किसी भी योजना के करीब जाकर सूँघिये करप्शन का समंदर नज़र आ जाएगा। जब सब चुप रहेंगे तो सबूत कहाँ से मिलेगा। आप भी समझते हैं इस खेल को। मुझे ट्रोल करने वाले इसे शेयर कर सकते हैं। स्टोरी का अनुवाद हिन्दी में कर लोगों तक पहुँचा सकते हैं

आप भी लिंक चटकाएँ और पढ़ें। थोड़ा हिन्दी में बताएँ कि क्या मामला है? जानना ज़रूरी है। जानने के लिए तो रिपोर्टिंग करनी पड़ेगी। भारत में कोई चैनल ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। बिकवा ही देंगे सब मिलकर। इसलिए कम से कम पढ़ कर ही देख लीजिए कि ऐसा क्या है कि सब अदानी ग्रुप के विवाद से डरे रहते हैं।

वैसे इन कंपनियों को विवाद से कुछ नहीं होता है।अदानी से पहले भी किसी को कुछ नहीं हुआ। हद से हद विवाद होता हैं लेकिन नेता नया स्लोगन, नया ईंवेंट का हंगामा रचकर ऐसे विवादों को धूल की तरह ग़ायब कर देता है और उसी का जहाज़ किराए पर लेकर चुनाव जीत जाता है। सात जनम में आपको ये खेल नहीं समझ आएगा।