RBI ने देश के 11 बैंकों पर लगाई रोक

 देश में बैंकों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. चार बैंकों को एक खरब 21 अरब 54 करोड़ 21 लाख का घाटा हुआ है. बैंकों पर ये बोझ बैड लोन की वजह से बढ़ता जा रहा है. बैंक एनपीए बढ़ने से रोकने में नाकाम हैं. इसी के चलते रिजर्व बैंक ने 21 में से 11 बैकों पर रोक लगा दी है. इनमें देना बैंक भी शामिल है.

साल की आखिरी तिमाही में केनरा बैंक को 4860 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. वहीं, इलाहाबाद बैंक को 3509 करोड़, यूको बैंक को 2134 करोड़ और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को 1650 करोड़का घाटा हुआ है.

आरबीआई के मुताबिक जब लोन का पैसा तीन महीनों तक वापिस नहीं आता तो उसे एनपीए मान लिया जाता है. बैंकिंग की भाषा में एनपीए को ‘नॉन परफॉर्मिंग असेट्स’ कहते हैं. जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ कहते हैं. साल 2017 में 12,553 फ्रॉड हुए,जिनमें बैंकों को 18170 करोड़ रुपए का चूना लगा था. देश का 77 फीसदी एनपीए कॉर्पोरेट घरानों की वजह से है.

एनपीए की साढ़े नौ लाख करोड़ की रकम ने बैकिंग सर्विस का कुछ इस तरह भट्टा बैठाया कि 21 में से 11 बैकों पर रिजर्व बैंक ने रोक लगा दी है. इनमें देना बैंक भी शामिल है. अब ये बैंक ना तो नया कर्ज दे सकते है और ना ही नई नौकरियां. सुधारात्मक कार्रवाई के लिए आरबीआई ने ये रोक लगाई है.