गोदी मीडिया की असली ताक़त फेक न्यूज़ है

फेक न्यूज़, फेक स्टोरी मीडिया की मजबूरी नहीं शक्ति है। मीडिया हाउसेज़ एक मुद्दत से फेक न्यूज़ और फेक स्टोरी का धंधा कर रहा है। मोदी सरकार के चार साल में स्तिथि इस हद तक बदल गई कि मीडिया हाउसेज़ पर सीधे पीएमओ यानी प्राइम मिनिस्टर ऑफिस का कब्जा हो गया है।

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इस चार सालों की तस्वीर सामने है कि मीडिया की बेशतर स्टोरी पीएमओ के दबाव में या तो लिखी गई है या पास कराई गई है। पीएम से किए जाने वाले इंटरव्यूज तक के सवालनामे पीएमओ में तैयार किये जाते हैं।या अगर सवालनामा कोई न्यूज़ एंकर तैयार करता है तो उस पर मोहर लगाने का काम पीएमओ करता है। केंद्रीय सरकार के चार सालों में प्रधानमंत्री से इंटरव्यू की ज़िम्मेदारी भी जी न्यूज़ और इंडिया टीवी के चहेतों को सोंपी गई।

केंद्रीय सरकार मीडिया की शक्ति को पहचानती है और इसी लिए कोई खतरा लेने को तैयार नहीं। केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री स्मृति इरानी ने एक बयान में कहा है कि फेक न्यूज़ का आरोप साबित होने की स्थिति में पत्रकारों को सज़ा दी जा सकेगी। अब नहीं मालूम कि स्मृति ईरानी ने किस झोंक में यह बयान दिया।