‘राम जन्मभूमि आंदोलन की मूल वजह बाबर नहीं बल्कि महफूज़ के भाई का टेप रिकार्डर है’

अस्सी के दशक के बिलकुल शुरुआती दौर की बात है। तब राम मंदिर का मुद्दा पैदा भी नही हुआ था। लेकिन विश्व हिंदू परिषद था। उसकी एक बैठक घर के पास हो रही थी। जो बाते हो रही थी उसे सुना। बैठक “पेट्रो डालर” पर केंद्रित थी। खाड़ी के देशो से मुसलमान के पास पैसा आ रहा था उसके खिलाफ आंदोलन चलाने की बात हो रही थी।

सत्तर के दशक में बड़ी संख्या में मुसलमान खाड़ी के देशो में काम धंधे के लिये गये। एक गया तो उसने अपने परिवार या जानने वालो में चार को और बुलाया। ये आमतौर पर छोटे काम धंधे वाले लोग थे। जब लौटते थे तो अपने साथ बड़े बड़े टेप रिकार्डर और इलेट्रानिक्स का दूसरा सामान लाते थे। कपड़े सूती की जगह सिंथेटिक हो गये थे इनके। शाम को तैयार होकर, सेंट लगा कर शहर में घूमते थे। विदेशो के किस्से उनसे सुनने पर लगता था कि किसी परी लोक को देख कर आये थे। एक दोस्त था महफूज़। अंडे की दूकान थी उसकी। उसके भाई भी वहॉ नौकरी करने गये थे। बड़ा टेप रिकार्डर वही देखा था पहली बार।

कई साल बाद विश्व हिंदू परिषद के उस “पेट्रो डालर” के खिलाफ अभियान और खाड़ी से लौटे मुसलमान के बड़े टेप रिकार्डर का रिश्ता समझ में आया। हॉ राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद का आंदोलन शुरु होते ही ये समझ में आ गया था कि इसकी मूल वज़ह बाबर नही महफूज़ के भाई का टेप रिकार्डर है।

( यह लेख प्रशांत टंडन की फेसबुक वॉल से लिए गया है, सियासत हिंदी ने इसे अपनी सोशल वाणी पर जगह दी है)