नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कम उम्र की विधवाओं के लिए पुनर्वास और पुनर्विवाह की व्यवस्था करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि सामाजिक बंधनों की परवाह न करते हुए सरकार कम उम्र की विधवाओं के पुनर्वास से पहले पुनर्विवाह के बारे में योजना बनाए।
कोर्ट ने मंगवार को सरकार से कहा कि पुनर्विवाह भी विधवा कल्याणकारी योजना का हिस्सा होना चाहिए। दूसरी तरफ कोर्ट ने इसके लिए तैयार किए गए रोडमैप पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें सफाई, पौष्टिक भोजन, सफाई समेत कई मुद्दों पर खामियां हैं। कोर्ट ने यहां तक कहा कि विधवा महिलाओं से बेहतर खाना जेल के कैदियों को मिलता है।
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि विधवाओं के पुनर्वास की बात तो की जाती है। लेकिन उनके पुनर्विवाह के बारे में कोई नहीं बात करता। सरकारी नीतियों में विधवाओं के पुनर्विवाह की बात नहीं है जबकि इसे नीतियों का हिस्सा होना चाहिए।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी वृंदावन सहित अन्य शहरों में विधवा गृहों में कम उम्र की विधवाओं को लेकर किया। पीठ ने कहा कि यह दुख कि कम उम्र की विधवाएं भी इन विधवा गृह में रह रही हैं। कोर्ट ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की राष्ट्रीय नीति में लाने की जरूरत है।
अदालत ने कहा, “राष्ट्रीय नीति 2001 में बनी थी और इसे 16 वर्ष बीत चुके हैं। लिहाजा इसमें बदलाव की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि हमें नहीं लगता कि महिलाओं का सशक्तिकरण हो पाया है।”
वहीं सरकार की तरफ से बोलते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि स्थितियों में सुधार हो रहा है। सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय नीति में बदलाव करेगी। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपको विधवाओं की कोई चिंता नहीं है। आप खुद काम नहीं करते और बाद में कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट देश चला रहा है।
इसके बाद सरकार से कोर्ट ने कहा कि आपको विधवा महिलाओं के लिए कुछ सोचना चाहिए। दरअसल देश में विधवा महिलाओं के कल्याण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इसको लेकर चार हफ्ते में रोडमैप मांगा था।