अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने राज्य में 40 वर्षीय धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने 2016 में कांग्रेस से अलग होने के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। सितम्बर 2016 में पेमा खांडू सत्तापक्ष 43 विधायकों के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़कर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गये और भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाई।
खांडू ने बेंडरदेवा में एक चर्च में अरुणाचल प्रदेश कैथोलिक एसोसिएशन द्वारा आयोजित समारोह में भाग लेने के दौरान ये बयान दिया कि 40 वर्षीय धर्मांतरण विरोधी कानून रद्द किया जा सकता है। बेंडरदेवा को राज्य की राजधानी ईटानगर का प्रवेश द्वार माना जाता है। प्रेम मिलान समारोह श्रीलंका के एक मिशनरी प्रेम भाई की याद में आयोजित किया गया था।
प्रेम ने अरुणाचल प्रदेश में लोगों को लुभाने और लोगों को ईसाई धर्म में बदलने के लिए बड़े स्तर पर काम किया था। खांडू ने अपने बयान से इस आयोजन के एक ऐसे चेहरे को प्रस्तुत किया जो जिसने इसे और शर्मनाक बना दिया। उन्होंने कहा, ‘धर्मांतरण विरोधी कानून धर्मनिरपेक्षता को कमजोर कर सकता है और शायद ईसाइयों को लक्षित करता है।’
खांडू ने कहा कि वो चाहते हैं कि कानून को निरस्त कर दिया जाए क्योंकि “गैर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।’ उन्होंने आश्वासन दिया कि धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के लिए राज्य के अगले विधानसभा सत्र से पहले बिल लाया जाएगा।
राज्य ने ईसाई धर्म में धर्मांतरण की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है। 1951 की जनगणना में राज्य में एक भी ईसाई नहीं था, ये परिदृश्य 2001 की जनगणना में बदल गया जब वो हिंदुओं के बाद तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह बन गए (34.6%) और अन्य जो ज्यादातर डोनी-पोलो (30.7%) थे। 2001 की जनगणना में ईसाईयों की जनसंख्या राज्य की आबादी का 18.7% था और वे 2011 की जनगणना (30.26%) में हिंदू धर्म (29.04%) से आगे निकलकर धीरे-धीरे प्रमुख समूह बन गए।
ईसाई मिशनरियों के दबाव का सबसे बुरा प्रभाव स्वदेशी जनजातियों में देखा गया है, जो सबसे अधिक की संख्या में ईसाई समूहों में शामिल हुए हैं। रूपांतरण ब्रिगेड ने अपना काम तब भी जारी रखा जब 1978 से राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हुआ था। जब भी इनमें से कोई एक पकड़ा जाता वो अल्पसंख्यकों पर हमले का रोना रोना शुरू कर देते थे और मिशनरी गिरफ्तार हुए अपने लोगों की रिहाई की मांग जारी रखते थे।