नई दिल्ली। विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा है कि उपज बढ़ाने के लिए कीटनाशकों तथा अन्य रासायनों के इस्तेमाल से कृषि उत्पादों में प्रदूषण होने से भारत, यूरोप और अफ्रीका के कुछ देशों में कई स्थानों पर मां का दूध भी पूरी तरह शुद्ध नहीं रह गया है। एफएओ की जारी एक रिपोर्ट में कहा कि दुनिया भर में मृदा प्रदूषण से कृषि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य को जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है।
रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिकीकरण, युद्ध, खनन और कृषि के लिए इस्तेमाल किये गये रसायनों से दुनिया भर में मृदा प्रदूषण बढ़ा है। इसके अलावा बढ़ते शहरीकरण ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। इसमें शहरी कचरे की व्यापक भूमिका है।
एफएओ की उप महानिदेशक मारिया हेलेन सेमेदो ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि खाद्य पदार्थ, पेयजल, वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है। भारत, यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में कुछ स्थानों पर मां का दूध भी पूरी तरह शुद्ध नहीं है और इसमें भी प्रदूषक तत्व पाये गये है।
रिपोर्ट के अनुसार आस्ट्रेलिया में लगभग 80 हजार स्थान मृदा प्रदूषण से प्रभावित है। चीन की 16 प्रतिशत भूमि और 19 प्रतिशत कृषि भूमि प्रदूषित है। यूरोपीय अार्थिक क्षेत्र और बालकान देशों में 30 लाख स्थान और अमेरिका में 1300 स्थल मृदा प्रदूषण से प्रभावित हैं।