लेबर मिनिस्ट्री की एक रिपोर्ट ने मोदी सरकार के रोज़गार सृजन के दावों की पोल खोली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार नई नौकरियां पैदा करने में नाकाम रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार के कार्यकाल में रोज़गार सृजन में 60 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। इसका मतलब है कि जितनी नई नौकरियां 2014 में मार्केट में जनरेट हुई थीं उसके मुकाबले साल 2016 में 60 फीसदी से ज्यादा जॉब्स क्रिएशन में कमी आई है।
पीएम मोदी ने देश के लोगों से वादा किया था कि उनकी सरकार इस तरह की पॉलिसी लेकर आएगी जिससे हर साल करीब 2 करोड़ नए जॉब्स मार्केट में लोगों को मिलेंगे। लेकिन रिपोर्ट के आंकड़े तो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में हर साल नए ज़ॉब्स क्रिएशन में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
आंकड़ों की मानें तो, साल 2014 में मार्केट में 4.21 लाख नए जॉब्स पैदा हुए। वहीं साल 2015 में मात्र 1.35 लाख नई नौकरियां मार्केट में आईं। इसी तरह से 2016 में कमोबेश 1.35 लाख नए जॉब्स के अवसर पैदा हुए।
इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए अर्थशास्त्री सारथी आचार्य ने कहा कि नई नौकरियों में गिरावट आने की सबसे बड़ी वजह मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर ग्रोथ में तेज़ गिरावट है। पिछले 3 साल में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 10 से घट कर एक फीसदी हो गई है।
इन आंकड़ों के सामने आने के बाद अब मोदी सरकार की स्किल डिवेलपमेंट स्कीम पर भी सवाल उठने लगे हैं। मोदी सरकार ने इसके ज़रिए देश में बड़े पैमाने पर नए जॉब्स जनरेट करने का वादा किया था।
बता दें कि बीते 3 साल में 30 लाख से ज़्यादा नौजवानों को इस स्कीम के तहत ट्रेनिंग मिली लेकिन जॉब तीन लाख से भी कम लोगों को मिली। जबकि सरकार ने इस स्कीम के लिए 12 हज़ार करोड़ का बजट अलॉट किया है।