पिता स्टेडियम के बाहर रिक्शा चला रहे थे और स्टेडियम के अंदर बेटा गोल्ड मेडल जीत रहा था । ये कोई फिल्मी कहानी नहीं है बल्कि ये सच है दिल्ली के रहने वाले 16 साल के निसार अहमद का । शनिवार को आयोजित हुए दिल्ली स्टेट एथलेटिक्स में निसार ने 100 मीटर और 200 मीटर की डबल स्प्रिंट रेस में अपना दूसरा गोल्ड मेडल जीतकर अपने माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। इस नौजवान ने नेशनल अंडर-16 के ग्यारह सेकेंड में 100 मीटर की दौड़ को 0.02 सेकंड से भी मात दे दी।
अफ़सोस इस बात का है कि निसार के माता पिता अपने बेटे की दौड़ और पदक समारोह में शामिल नहीं हो सके। रोजी रोटी चलाने के लिए अहमद के पिता मोहम्मद हक स्टेडियम के बाहर रिक्शा चला रहे थे और मां सफिकुनिशा जो कि घर-घर जाकर बर्तन साफ करती है, लेकिन उस दिन ईद की वजह से वो घरेलू कामों में काफी व्यस्त थी। अहमद का परिवार आजादपुर के बड़ा बाग के करीबी रेल्वे ट्रेक के पास की बस्ती में 10*10 के कमरे में रहता है।
निसार के पिता को अपने बेटे की कामयाबी पर फक्र है । वो अपने बेटे को मेडल जीतने देखना चाहते हैं लेकिन उसके लिए एक दिन काम बंद करना पड़ेगा जिसका नतीजा ये होगा कि रात को घर में फाक़े की नौबत आ जाएगी ।
उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले मैंने अपने बेटे को स्पोर्टस की सामग्री, डाइट और एथेलेटिक्स करियर के लिए 28,000 रूपए का कर्ज लिया था, जोकि मैं अभी तक नहीं चुक पाया है ।
मां सफिकुनिशा अपने बेटे की कामयाबी को लफ्ज़ों में बयां नहीं कर पा रही हैं । लेकिन एक मां को इस बात की तकलीफ़ है कि वो अपने बेटे को अच्छा खाना तक नहीं खिला पा रही हैं । वो कहती हैं कि जब भी मेरे पास कुछ पैसे होते है तो मैं नसीर को मेवे , फल और हफ्ते में एक दिन मीट खिलाती हूं, जोकि उसे फिट और ताकतवर बना सके।
अहमद ने सरकारी स्कूल के फिजिकल एजुकेशन टीचर सुरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एथेलेटिक्स की ट्रेनिंग ली है । कोच सुरेंद्र अहमद को इंटर जोनल इवेंट में ले गए जहां उसने प्रतियोगियों को बड़ी आसानी से पछाड़ दिया। इसके बाद कोच सुनिता राय के नेतृत्व में छत्रासाल स्टेडियम में अहमद ने ट्रेनिंग शुरू की। सुबह 5 बजे से उठकर अहमद जमकर अभ्यास करता है। निसार का कहना है कि ऐसी बहुत सारी चीजें हैं, जो उसे परेशान करती है, लेकिन एथेलेटिक्स मुझे संतुष्ट करती है और साथ ही मेरा आत्मविश्वास बढ़ाती है।
निसार का परिवार आर्थिक तंगी से गुज़र रहा है, परिवार के लिए दो वक्त की रोटी की जुगाड़ ही बड़ी बात है । ऐसे में निसार के माता-पिता अपने बेटे को ख्बावों में रंग भरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन अगर निसार को सरकारी मदद मिलती है तो वो ऐथलेटिक्स में देश का नाम दुनिया में रौशन कर सकता है ।