यूपी: फिलहाल किसी भी बड़े गठबंधन से चौधरी अजित सिंह का इंकार!

रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह का मकसद पार्टी की सियासी जमीं को मजबूत करना है। जनसंवाद के जरिए लगातार वे मतदाताओं को टटोलने में लगे हैं। भाजपा पर तीखे तेवर के साथ छोटे चौधरी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के हिमायती बने हुए हैं।

हालाकि बसपा सुप्रीमो मायावती के रुख को लेकर रालोद में कुछ बेचैनी भी है। सपा और कांग्रेस रालोद के साथ मिलकर कई चुनाव लड़ चुके हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह जिले में चौथी बार जन संवाद करेंगे। मौजूदा साल में वह बुढ़ाना, खतौली, और लालूखेड़ी में किसानों और अन्य सामाजिक संगठनों के बीच रालोद की नीतियों को रख चुके हैं।

छोटे चौधरी का अगला पड़ाव मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में है। भाजपा पर उनका हमला जारी है। वेस्ट यूपी के दौरे पर निकले रालोद अध्यक्ष स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा को संसदीय चुनाव में शिकस्त देने के लिए गठबंधन जरूरी है। कैराना लोकसभा के उपचुनाव के नतीजे ने यह सिद्ध भी कर दिया है।

पार्टी के जाट-मुस्लिम समीकरण को बनाने में जुटे छोटे चौधरी का मकसद सियासी जमीन को मजबूत करना है। 82 साल की उम्र में भी उनकी सक्रियता जज्बे को दिखा रही है। आगामी लोकसभा चुनाव में रालोद के बेहतर प्रदर्शन को लेकर रणनीति बनाने में जुटे चौधरी अजित सिंह की निगाहें सियासी पार्टियों के गठबंधन फार्मूले पर टिकी हैं।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का रुख रालोद से गठबंधन को लेकर अभी तक सकारात्मक है।

हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती क्या फैसला लेंगी, इसका अभी कोई अनुमान नहीं है। वैसे भी सियासी वोट समीकरण की दृष्टि से कभी भी बसपा ने रालोद के साथ मिलकर कोई चुनाव नहीं लड़ा है। लोकसभा चुनाव की दस्तक हो चुकी है। भाजपा को चुनौती देेने को गठबंधन की क्या बिसात बिछेगी, यह समय के गर्भ में है।

साभार- ‘अमर उजाला’