कॉक्स बाजार। बांग्लादेश में दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में रहने के लिए म्यांमार में उत्पीड़न के बाद भागकर यहां आने वाले रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद सलीम अपनी 8 वर्षीय बेटी को तायक्वोंडो सिखा रहे हैं ताकि वह गरीबी से बाहर निकल कर अपने जिंदगी गुजर कर सके।
दशकों से म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों का दुनिया के सबसे सताए गए लोगों में शुमार किया जाता है। कई लोग म्यांमार से बचपन में ही भाग आये। कुछ को शरणार्थी का दर्जा दिया गया है जबकि अन्य को अभी भी यह दर्ज़ा नहीं है।
मुस्लिम अल्पसंख्यक म्यांमार के अंदर राखीन राज्य के अपने पैतृक मातृभूमि में रहते हैं, जो देश उन्हें शिविरों में नागरिकता से वंचित करता है या शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों द्वारा घिरा हुआ है।