म्यांमार के रखाइन सूबे में पिछले कुछ सालों से लगातार जारी हमलों से जान बचाकर कम से कम दो लाख रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश, मलेशिया, थाईलैंड और भारत जैसे मुल्कों में पहुंचे हैं। लेकिन जो हिंसा और बर्बरता पचीस अगस्त से जारी है उसका बयान करना आसान नहीं है।
राखिन राज्य के मौंगडौ क्षेत्र में फकीरा बाजार के गांव के निवासी अनिका धर (18) ने मीडिया को बताया कि उसके पति मिलन धर जो पास के बाजार में एक सैलून में काम करते थे। काम पर जाने की तैयारी कर रहे थे तभी काले वर्दी पहने हुए पुरुषों के एक समूह अपने घर में घुस आया उनके पास बंदूकें और लंबी चाकू थें।
उन्होंने ढाका ट्रिब्यून को बताया, “उन्होंने हमारे घर को लूट लिया, फिर हमारे एक सौ से ज्यादा पड़ोसियों के साथ एक निर्जन स्थान पर हमला किया। इतना ही नहीं उन्होंने जमीन में छेद खोदें और लोगों को गोली मारकर हत्या कर दी और शवों को छेदों में फेंक दिया।”
अनिका के अनुसार, उस दिन एक सौ से अधिक लोग मारे गए थे। अनीका हिंदू रोहिंग्या का एक छोटा समूह है, जो अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ बांग्लादेश में चले गए हैं। पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम आठ हिंदू महिलाओं शरणार्थियों बांग्लादेश भाग कर आई हैं। उन्होंने बताया कि सशस्त्र पुरुषों ने उनके सामने उनके पति को मार डाला।
25 वर्षीय प्रिमला शीएल ने कहा कि उसने मिलिशिया द्वारा उसके पति की हत्या के बाद बांग्लादेश में भाग लेने का फैसला किया। क्यूंकि उनके पास और कोई भी विकल्प नहीं बचा था। अनिका गर्भवती है उसने ने कहा कि उनके पति मिलन को उसके आँखों के सामने मार दिया। वो जैसे तैसे मुसलामनों में शामिल हो कर यहाँ आई है। अब वो सोच रही है वो जिन्दा क्यों है।
25 अगस्त के बाद काफ़ी संख्या में महिलाओं और बच्चे रोहिंग्या शरणार्थी के रूप में बांग्लादेश में दाख़िल हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया है कि जहां मर्दों का क़त्ल कर दिया गया, वहीं महिलाओं का यौन उत्पीड़न के लिए शिकार किया गया। सीमा के रास्ते रेहाना बेगम अपने नवजात बेटे के साथ भागकर आई थीं लेकिन वह अपनी 15 साल की बेटी को नहीं ढूंढ सकीं।
कॉक्स बाज़ार में रोहिंग्या महिलाओं और बच्चों को बांग्लादेश डॉक्टर और कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उन्हें मुहैया करा रहे हैं। वे कहते हैं कि कई महिलाएं बलात्कार पीड़िता न कहलाने के कारण ख़ुद के साथ हुए यौन उत्पीड़न के बारे में नहीं बताती हैं। इस कारण वे उन्हें सही इलाज नहीं दे पा रहे हैं।