बुद्धिष्टों की सहमति के बगैर रोहिंग्या मुसलमान वापस नहीं आ सकते: म्यांमार सेना प्रमुख

यंगून: म्यांमार के सेनाध्यक्ष मिन ओंग ने रोहिंग्याई मुसलमानों की देश वापसी को बुद्धिष्टों के सहमती के अधीन कर दिया है। सोशल मीडिया पर जारी बयान में म्यांमार के सेनाध्यक्ष ने कहा कि बांग्लादेश पलायन कर जाने वाले रोहिंग्या मुसलमान तब तक म्यांमार वापस नहीं आ सकते जब तक बुद्धिष्ट उसके वापसी पर सहमत नहीं हो जाते।

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सेनाध्यक्ष ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिमों को अपने देश वापसी के लिए लंबा सफ़र तय करना होगा। क्योंकि इन शरणार्थियों की वापसी राखेन के वास्तविक नागरिकों की सहमती पर निर्भर है।
उनहोंने कहा कि अगर बुद्धिष्ट उन्हें वहां रखने के लिए तैयार हैं तो वह घर वापसी कर सकते हैं, वरना शरणार्थियों की देश वापसी नामुमकिन है। क्योंकि म्यांमार पहले से ही अल्पसंख्यकों के हजारों लोगों को शरण दिए हुए है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के तरफ से सभी रोहिंगियाई शरणार्थियों की वापसी की मांग हमारे लिए अस्वीकार्य है।

बता दें कि म्यांमार के राज्य रखें में सेना आत्मघाती कार्रवाइयों के बाद 6 लाख से ज्यादा लोग पलायन कर बांग्लादेशी सीमा पर शरण लिए हुए हैं जहां पोष्टिक खाना की कमी के कारण और स्वास्थ्य व सफाई के घटिया व्यवस्था के कारण शरणार्थी बिमारियों से पीड़ित।