रोहिंग्या मुस्लिम का दर्द, कहा- घर सामने नज़र आ रहा है, लेकिन वहां जा नहीं सकते..

म्यांमार: 25 अगस्त से रोहिंग्या के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या चरमपंथियों ने म्यांमार की सीमा चौकियों पर समन्वित हमले शुरू किए थे। जिसके बाद म्यांमार की सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू की थी।

इस कार्रवाई के दौरान म्यांमार की सेना ने कई रोहिंग्या मुसलमानों को मार दिया और उनके घर जला दिए।

जिसके बाद अनुमानित 370,000 रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार से निकल कर बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।
लेकिन म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा के साथ लगते गाँव में रहने वाले लोगों की कहानी कुछ इस तरह है कि वे लोग इन हमलों के बाद म्यांमार का बॉर्डर पार कर बांग्लादेश की सीमा में घुस गए।

उनका कहना है कि इस मामले में बात करते हुए 26 वर्षीय सईद करीम ने बताया कि पिछले महीने तक उन्होंने इंटरनेशनल सीमा के नो-मैन्स लैंड में उनकी पट्टी पर चावल और गन्ना बोया था।

लेकिन जब म्यांमार सेना द्वारा हमले शुरू हो गए तो वे अपना घर छोड़ कर बचने के लिए नो-मैन्स लैंड में चले गए।

उनका कहना है वे सीमा पर बफर ज़ोन की सुरक्षा में भाग गए हैं और अब फंस गए हैं। बांग्लादेश सीमा सुरक्षा अधिकारी मुंजाउरूल हसन खान ने बांग्लादेश सुरक्षा बलों को निर्देश दिए है कि उन्हें वहां नहीं जाने दिया जाए।

कुछ रोहिंग्या लोगों का कहना है कि म्यांमार सरकार द्वारा उनके साथ किए गए बर्ताव के बाद वे अपने घर वापस जाने से बहुत डर रहे हैं, हालाँकि उन्हें अपने घर सीमापार से नजर आ रहे हैं। वे अपने घरों को छोड़ कर बांग्लादेश में शरणार्थियों की तरह रहने को तैयार नहीं हैं।