RSS हमेशा से आतंकवाद फैलाने और बम बनाने का प्रशिक्षण देता रहा है: दिग्विजय सिंह

नई दिल्ली: दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी पर बड़ा निशाना साधा है. दिग्गी राजा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रधानमंत्री अब इतने असहाय हो गए हैं कि लोगों से खुद को पीटने की अपील कर रहें है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने वादे पूरे नहीं कर पाए हैं, इसलिए इस तरह की भाषा का उपयोग कर रहे हैं. पीएम का कहना है कि लोग मुझे चौराहे पर जूता मारें, अब लोग भी इंतजार कर रहें है कि प्रधानमंत्री कब और कौन से चौराहे पर मिलेंगे.

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प्रदेश 18 के अनुसार, दिग्विजय सिंह ने कहा कि उद्धव ठाकरे शरीफ इंसान हैं और अमित शाह से उनका कोई तुलना नहीं हो सकता है. दिग्विजय के अनुसार अमित शाह ने कैसे पैसे बनाए हैं, यह सभी जानते हैं.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री पूरी तरह विफल रहे हैं और नोटबैन करने का लाभ केवल अमीरों को हुआ है जबकि गरीबों को नुकसान उठाना पड़ा है. नोट बैन मामले पर उर्जित पटेल के बयान पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि उर्जित पटेल और वित्त मंत्री अलग अलग बयान दे रहे हैं. वित्त मंत्री का कहना है कि प्रक्रिया पूरा हो गया है, जबकि उर्जित पटेल कहते हैं कि थोड़ा और इंतजार करना होगा. दोनों के बयानों में विरोधाभास है.
शरद पवार के बयान पर दिग्विजय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि राकांपा को कांग्रेस में विलय कर लिया जाना चाहिए, तभी भाजपा का मुकाबला हो पाएगा. गौरतलब है कि एनसीपी ने दो दिन पहले ही कहा था कि राहुल गांधी की लीडरशिप में शरद पवार काम नहीं करेंगे. दिग्विजय सिंह ने कहा कि पवार साहब को समझना होगा और एनसीपी को भी समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस बड़ा भाई है. इस बात को शरद पवार पहले समझ गए थे, लेकिन बाद में पता नहीं उन्हें क्या हो गया. उन्होंने जनरल रावत के बयान पर कहा कि सेना कश्मीर में खैर सगाली के कार्यक्रम चला रही है, ऐसे में रावत के इस बयान से माहौल खराब हो सकता है. कांग्रेस में प्रियंका गांधी की भूमिका पर दिग्गी राजा ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रियंका गांधी को पार्टी में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए.
साध्वी प्रज्ञा के मामले में दिग्विजय सिंह ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस हमेशा से आतंकवाद फैलाता रहा है और बम बनाने का प्रशिक्षण भी देता रहा है, इसलिए आरएसएस चाहता है कि उनके जैसे लोगों को छोड़ दिया जाए. यही कारण है कि सरकारी एजेंसियां अदालत में अपने पिछले स्टैंड से भटक रही हैं.