RSS का बीजेपी पर हमला, पूछा मुफ्ती हिंदुस्तानी हैं या नहीं!

जम्मू कश्मीर में इत्तेहाद की हुकूमत बनते ही बीजेपी और पीडीपी के बीच इख्तेलाफ दिखने लगे हैं। अब आरएसएस के अखबार ऑर्गनाइजर ने जम्मू-कश्मीर के वज़ीर ए आला मुफ्ती मोहम्मद सईद पर दोहरा मयार अपनाने का इल्ज़ाम लगाया है। लेख में पीडीपी के साथ मिलकर हुकूमत बनाने वाली बीजेपी से कहा गया है कि पार्टी मुफ्ती से पूछे कि क्या वह हिंदुस्तानी हैं या नहीं।

आरएसएस ने कहा कि मुफ्ती जम्मू-कश्मीर में पुरअमन इंतेखाबात के लिए पाकिस्तानी दहशतगर्दों को सेहरा देने जैसा दोहरा मयार नहीं अपना सकते हैं। साबिक सीबीआई डायरेक्टर जोगिंदर सिंह की तरफ से लिखे गए आर्टिकल स्पार्किग कंट्रोवर्सी में वादी छोडने को मजबूर हुए 3.70 लाख हिंदू और सिख खानदानों को लेकर फैसला लेने के लिए मर्ज़ी की ताकत के बारे में भी सवाल किया गया है।

सिंह ने आर्टिकल में लिखा है कि, हलफ लेने के फौरन बाद ही मुफ्ती ने पाकिस्तान, अलहैदगीपसंदों और दहशतगर्दों को शुक्रिया कहकर सियासी तनाज़ा खडा कर दिया था।

इत्तेहाद में शामिल बीजेपी को चाहिए कि वह पीडीपी लीडर से यह साफ करे कि वह हिंदुस्तानी हैं या नहीं। वह दोहरा मयार नहीं अपना सकते।

क्योंकि शिकारी और खरगोश दोनों के साथ नहीं चल सकते। अलहैदगीपसंद लीडर मसरत आलम को जम्मू-कश्मीर सरकार ने रिहा कर दिया है। हुर्रियत के कट्टरपंथी लीडरआलम की 2010 में कश्मीर वादी में पत्थरबाजी की वाकियात के बाद गिरफ्तारी की गई थी।

2010 में तकरीबन चार महीने तक पत्थरबाजी की वाकियात चली थीं और उसमें तकरीबन 100 लोगों की मौत हुई थी। जम्मू-कश्मीर के वज़ीर ए आला मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा है कि जिन सियासी कैदियों के खिलाफ संगीन मामले नहीं हैं, उन्हें रिहा किया जाएगा।

पीडीपी के मुसलसल मुतनाज़ा फैसलों से भाजपा में काफी नाराजगी है। जम्मू के एमएलए रविंदर रैना ने कहा कि ऐसे में इत्तेहाद चलना मुश्किल है । रैना ने कहा कि अगर इस तरह से रियासत की हुकूमत अलहैदगीपसंद लीडरों को रिहा करेगी तो वादी का माहौल फिर से खराब हो जाएगा।