राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तरफ से मदरसों पर तिरंगा फहराने के बयान के बाद मुस्लिम संगठनों ने सवाल खड़े किए हैं। दारुल उलूम देवबंद ने उल्टे सवाल पूछा है कि क्या तिरंगा और राष्ट्रगान में संघ को यकीन है? संघ के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की तरफ से देशभर के मदरसों में 26 जनवरी पर तिरंगा फहराने की नसीहत दी गई है।
इसके लिए उसने दारुल उलूम देवबंद और नदवा को खत लिखकर मदरसों में तिरंगा फहराने की गुजारिश किया है। इसका मुखालफत करते हुए देवबंद ने पूछा है कि क्या आरएसएस नागपुर हेड ऑफिस पर तिरंगा फहराएगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के यूपी के समन्वयक मोरध्वज सिंह के मुताबिक, तिरंगा फहराने की तहरीक पूरे मुल्क में चलाया जाएगा। देवबंद और नदवा को खत लिखकर इस तहरीक में शामिल होने की गुजारिश की गई है।
देवबंद के प्रेस सेक्रेट्री मौलाना अशरफ उस्मानी ने इस पर ऐतराज जताते हुए पूछा है, ‘क्या आरएसएस नागपुर में अपने हेड ऑफिस पर तिरंगा फहराएगा? क्या आरएसएस राष्ट्रगान में यकीन रखता है।
उस्मानी ने कहा, ‘आरएसएस को यह हक नहीं है कि वह मदरसों को इस तरह की नसीहत दे या हुक्म करे। मदरसे खुद तय करें कि तिरंगा फहराना चाहते हैं या नहीं।’ उन्होंने कहा कि देवबंद की सामाजिक सभा ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ से जुड़े कई मदरसे न सिर्फ तिरंगा फहराते हैं, बल्कि 15 अगस्त और 26 जनवरी को छुट्टी भी रखते हैं।
उस्मानी ने कहा, ‘जंग-ए-आज़ादी में देश के मदरसों की अहम किरदार रही है। उन पर किसी तरह का दबाव बनाना गलत है। आरएसएस का जंग-ए-आजादी से क्या लेना-देना है। ये तो सिर्फ एक ही रंग के झंडे को मानता है और अहमियत देता है।’