बंगलुरु: बचपन से लेकर आजतक हम ये पढ़ते आये हैं कि टीपू सुलतान एक महान योद्धा थे. उनके बारे में कहा जाता है कि वो बिलकुल भी कट्टरवादी नहीं थे. अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ सीना तान के लड़ने वाले टीपू सुलतान को आज वो संस्था कट्टरवादी कह रही है जो आज के दौर की सबसे कट्टर-संस्था है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का कहना है कि टीपू धार्मिक रूप से कट्टर थे. इतना ही नहीं RSS का ये भी कहना है कि वो हिंसक सुलतान थे.
कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के क्षेत्रीय संघचालक वी नागराज का कहना है कि ‘हमारा संगठन सड़कों पर उतर कर टीपू जयंती के विरोध में प्रदर्शन करेगा। क्योंकि वह धार्मिक रूप से कट्टर और हिंसक सुल्तान थे।’ उन्होंने बंगलुरु में पत्रकारों से ये कहा.
कर्णाटक की कांग्रेस सरकार ने पिछले साल टीपू जयंती मनाने का फ़ैसला किया था. इस साल टीपू जयंती को 10 नवम्बर को मनाया जायेगा. VHP भी RSS के साथ मिल कर टीपू जयंती का विरोध है और देश के एक वीर योद्धा को अपनी राजनीति के लिए बदनाम करने की कोशिश कर रहा है.
इतिहास में टीपू सुलतान का नाम सम्मान से लिया जाता है. मैसूर का इस शासक को मिसाइल के जन्मदाता के तौर पर भी कुछ लोग मानते हैं. उन्होंने अंग्रेज़ों के आगे घुटने नहीं टेके और जंग के मैदान में लड़ते लड़ते शहीद हुए.