इन दिनों मोदी सरकार के करीबी भी उससे नाखुश नज़र आ रहे हैं। इसी फेहरिस्त में अब आरएसएस के मज़दूर संघ का नाम भी जुड़ गया है। मज़दूर संघ ने 17 नवंबर को सरकार के खिलाफ दिल्ली में महारैली निकालने का ऐलान किया है।
भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र की नीतियों को फेल बताते हुए कहा है कि सरकार को देश की वास्तविकता की जानकारी नहीं है। इसलिए जो नीतियां बनाई जा रही हैं वो देश के सवालों का कोई ठोस समाधान नहीं निकाल रही हैं।
इसलिए मजदूर संघ पीएम मोदी को एक ज्ञापन सौपेंगा, जिसमें सरकार से अपनी आर्थिक नीतियों में परिवर्तन करने की बात कही जाएगी। ज्ञापन में कॉन्ट्रैक्ट लेबर को सामान्य मेहनताना दिया जाए इसकी मांग भी की जाएगी।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी सरकार की नीतियों को नाकाम बताते हुए कहा था कि सरकार ने व्यापारियों, किसानों, बेरोजगारों और अनौपचारिक क्षेत्र में प्रर्याप्त काम नहीं किया है।
भागवत ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं। भारतीय मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच भी सरकार की आर्थिक नीतियों से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की तुलना में नरेंद्र मोदी और अमित शाह प्रभाव डालते हैं। लेकिन संघ को लगता है कि प्रतीकात्मक इशारों के अलावा जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं भाजपा ने भागवत के भाषण के जवाब में एक बुकलेट तैयार की है। इसे संघ प्रमुख के भाषण का जवाब मांगा जा रहा है।