मदरसों और मिशनरी स्कूलों पर अंकुश लगाओ, हम पर नहीं: संघ

कोलकाता। संघ संचालित स्कूलों को ममता सरकार की तरफ से मिले नोटिस पर आरआरएस ने प्रतिक्रिया दी है कि वह मदरसों और मिशनरी स्कूलों पर अंकुश लगाए, हम पर नहीं।

दरअसल ममता सरकार ने कथित रूप से धार्मिक असहिष्णुता का पाठ पढ़ाने और इसे बढ़ावा देने के आरोप में ऐसे 125 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजा है और इन स्कूलों को लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी है। इन स्कूलों से अपने पाठ्यक्रम की सूची स्कूली शिक्षा विभाग को सौंपने को कहा गया है ताकि उसकी समीक्षा की जा सके।

इन स्कूलों को राज्य शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम का पालन करने को भी कहा गया है।

सीपीएम विधायक मानस मुखर्जी ने यह मुद्दा हाल ही में विधानसभा में उठाया था उसके बाद सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की है। बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक जिन स्कूलों को नोटिस भेजा गया है उनमें से ज़्यादातर कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर, नदिया और पश्चिम मेदिनीपुर जिलों के ग्रामीण इलाकों में हैं।

सरकार का दावा है कि इन स्कूलों में पहली से चौथी कक्षा तक के छात्रों के लिए आयोजित कार्यक्रमों में धार्मिक असहिष्णुता की सीख दी जाती है। सरकार की निगाह शारदा शिशु तीर्थ, सरस्वती शिशु मंदिर और विवेकानंद विद्या विकास परिषद संचालित स्कूलों पर भी है जो सभी संघ से जुड़े हैं। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का कहना है कि जिन सवा सौ स्कूलों को नोटिस भेजी गई है, उनमें से 96 स्कूलों ने सरकार से एनओसी नहीं लिया है।

लेकिन संघ के नेता इन आरोपों को निराधार क़रार देते हैं। उनकी दलील है कि साल 2015 में असम में संघ से जुड़े एक स्कूल के मुस्लिम छात्र ने सीबीएसई की परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया था।

आरएसएस के प्रवक्ता जिष्णु बोस कहते हैं कि पहले राज्य की वाम मोर्चा सरकार ने भी इन स्कूलों की स्थापना का विरोध किया था, अब तृणमूल कांग्रेस सरकार भी उसी राह पर चल रही है।

 

 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष सवाल करते हैं कि सरकार इन स्कूलों को नोटिस कैसे भेज सकती है? अब, भाजपा और संघ ने इस मुद्दे पर सरकार के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने का भी फैसला किया है।