आरटीआई में हुआ खुलासा: अखिलेश सरकार ने अपने चहेतों को रेवड़ियों की तरह बांटे थे यश भारती पुरस्कार

नई दिल्ली: आरटीआई के तहत मिली जानकारी में सामने आया है कि यूपी में तत्कालीन अखिलेश सरकार ने यश भारती पुरस्कार को चहेतों को रेवड़ियों की बांटा था। जिनमें उनकी पार्टी के कई कार्यकर्ता भी शामिल थे।

अखिलेश यादव सरकार के लिए सैफई महोत्सव का आयोजन करने वाले एक टीवी एंकर; मुख्यमंत्री कार्यालय में एक अधिकारी जिसने अपने नाम की सिफारिश स्वयं की; एक शोधकर्ता जिसने मेघालय में दो महीने के ‘फील्ड वर्क’ को एक उपलब्धि के रूप में दर्शाया; ज्योतिष और मनोविज्ञान पर आधारित अनूठी और हाथों से बने कपड़ों के निर्माण की क्रांतिकारी विचारधारा का स्व-स्टाइल संस्थापक; ये सभी उम्मीदवार मुख्यमंत्री के चाचा शिवपाल सिंह यादव और एक स्थानीय संपादक द्वारा अनुशंसित उम्मीदवार रहे।

यश भारती पुरस्कार को साल 1994 में समाजवादी पार्टी के संस्थापक, मुलायम सिंह ने शुरू किया था। जिसे बसपा और बीजेपी ने अपने शासनकाल में बंद भी कर दिया था।

आपको बता दें की समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए दिए जाने वाले यश भारी सम्मान पुरस्कार में 11 लाख रुपए की धनराशि और 50,000 रुपए की जीवनभर की मासिक पेंशन मिलती है।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी में 2012-17 के दौरान 200 पुरस्कार विजेताओं में से 142 के नामांकन के बारे पता चला है। कई विजेता समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता थे, जिन पर अखिलेश सरकार ने एहसान किया है। क्यूंकि इसके आवेदनों में से योग्य के चयन की कोई निश्चित प्रक्रिया नहीं थी।