जेएनयू के खिलाफ़ सोची समझी साजिश के तहत अफ़वाह फैलाई जा रही है , जिसमें सबसे आगे है खुद को एंटी सेक्युलर न्यूज़ पोर्टल बताने वाली एक वेबसाइट।
पोर्टल पर दावा किया गया है कि हमारे जवानों के कत्ल पर जेएनयू में जश्न मनाया जाता है। इसमें जेएनयू को वामपंथियों का अड्डा भी बताया गया है। जश्न मनाते जेएनयू के छात्रों की एक तस्वीर भी लगाई गई है।
. 2015 JNU election result photo put up on right wing website to claim celebrations on campus after Sukma! https://t.co/RPZ5W0KZGP
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 26, 2017
दैनिक भारत ने अपनी वेबसाइट dainikbharat.org पर जो तस्वीर लगाई है उसमें जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथी जश्न मनाते दिखाई दे रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने सोमवार को सीआरपीएफ जवानों को निशाना बनाया था। 300 नक्सलियों द्वारा किए गए हमले में 25 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद दैनिक भारत ने अपनी वेबसाइट (dainikbharat.org) पर यह तस्वीर लगाई है।
तस्वीर के साथ ही लिखा है- नक्सलियों द्वारा छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 76 जवानों की हत्या हुई थी और उसके बाद भी JNU में वामपंथियों ने जश्न मनाया था।
इसमें फरवरी महीने की एक खबर का स्क्रीन शॉट लगाया गया है और कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के सुरक्षाबल बता रहे हैं कि जवानों के कत्ल पर जेएनयू में जश्न से उनको बेहद दु:ख पहुंचा है।
आगे लिखा गया है- न जाने मीडिया वाले आपको ये क्यों नहीं बताते कि जो छत्तीसगढ़ और देश के अन्य नक्सली है, वो असल में वामपंथी ही हैं और दूसरे किस्म के वामपंथी भी देश में एक्टिव हैं।
एक तो हथियार उठाए वामपंथी जिन्हे नक्सली बताती है मीडिया और दूसरे वो वामपंथी जिन्होंने हथियार नहीं उठाया, लेकिन समाज के बीच रहकर ये हथियारबंद वामपंथियों का समर्थन करते रहते हैं, जैसे खठव के वामपंथी। जब भी नक्सली हमारे जवानों की हत्या करते हैं, जेएनयू में वामपंथी राजनीतिक पार्टियों के कार्यालयों में जश्न मनाया जाता है।
दरअसल वेबसाइट ने जिस तस्वीर को जवानों की हत्या पर जश्न की बताते हुए लगाया है, वो तस्वीर दो साल पुरानी है। असल में ये तस्वीर 2015 में जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में मिली जीत के बाद की है। उस समय तमाम मीडिया में यह तस्वीर आई थी।
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी ट्वीट कर यह जानकारी दी है। उन्होंने फोटो को शेयर करते हुए अपने ट्वीट में लिखा- “2015 जेएनयू इलेक्शन रिजल्ट का फोटो लगाकर एक दक्षिणपंथी वेबसाइट ने दावा किया है कि नक्सलियों द्वारा हमारे सेना के जवानों पर हमला होने पर जेएनयू में जश्न मनाया जाता है।”
इस तरह की वेबसाइट मुल्क़ की हवा में ज़हर घोलती हैं। ऐसी ही वेबसाइट की फर्ज़ी खबरों की वजह से सांप्रदायिक तनाव तक फैला जाता है। इस तरह की वेबसाइट पर लगाम कसने की ज़रूरत है ताकि अफ़वाहों पर रोक लगाई जा सके ।