असम के पिछड़े गांव की सलमा हुसैन ने वाशिंगटन में हासिल की बड़ी उपलब्धि

असम के कामरुप जिले के सोनतली चर की सलमा अब अमेरिका के वाशिंगटन डीसी जाएगी, जहां वह एक पखवाड़े तक एंडी लीडरशिप इंस्टीट्यूट के प्रशिक्षण में हिस्सा लेगी। गांव से वाशिंगटन डीसी तक ऐसा रहा सलमा का सफर सलमा को यह उपलब्धि एक दिन में हासिल नहीं हुई है। वह एक ऐसे पिछड़े दुर्गम गांव से आती हैं जहां हर साल ब्रह्मपुत्र की लहरें जीवन को तहस-नहस कर जाती हैं। उसने आठ साल की उम्र में पिता को खो दिया था। सलमा को आज तक की स्थिति में लाने का सारा श्रेय उसकी शिक्षिका मां को जाता है जो फिलहाल सोनतली आचंलिक हायर सेकेंडरी स्कूल में कार्यरत हैं।

कुछ महीने पहले जब वह एलएलबी के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा की तैयारियां कर रही थी तभी उसने यंग वूमेन पीस बिल्डर्स के लिए एंडी लीडरशिप इंस्टीट्यूट कार्यक्रम 2018 का आवेदन किया था। यह प्रतियोगिता काफी कठिन थी, क्योंकि पूरे विश्व से सिर्फ आठ युवा महिलाओं को इसके लिए चुना जाना था। सलमा कहती हैं, आवेदन पत्र आईएएस की परीक्षा जैसा था। इसमें सामान्य से लेकर विवरणात्मक सवालों के जवाब देने थे तो साथ में यह भी बताना था कि क्यों उसे इसके लिए चुना जाना चाहिए।

सलमा को मिल चुके हैं कई पुरस्कार

सलमा ने अपने हर काम की तरह आवेदन को सतर्कतापूर्वक भरा। इसके बाद कई दौर के इंटरव्यू चले और आखिरकार बुधवार को एएलआई से वह सूचना आई जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था। उसे कार्यक्रम के लिए चुन लिया गया। वह भारत से जानेवाली अकेली महिला है। सलमा को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। नेशनल फांउडेशन ऑफ इंडिया ने वर्ष 2017-18 का युवा शांति पुरस्कार उसे प्रदान किया।

क्या है एंडी फाउंडेशन?

एंडी फाउंडेशन की स्थापना 2008 में की गई थी। फाउंडेशन उन महिलाओं को वित्तीय मदद देता है जो राजनीति,संचार और मानवतावादी कार्य करने को इच्छुक हैं। एंडी एक युवा मोटिवेटेड महिला थीं। उनकी मौत 2007 में नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट के लिए काम करते हुए इराक में हुई थी। इंस्टीट्यूट का उद्देश्य अगली पीढ़ी की महिलाओं को तैयार करना है ताकि वे अपने देश में एंडी के आदर्शों को आगे बढ़ा सकें। इस कार्यक्रम के तहत सलमा को 5 से 18 अगस्त तक प्रशिक्षिण मिलेगा।