नई दिल्ली: देश के शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को किसानों की लगातार बढती आत्महत्याओं और प्राकृतिक आपदा से फसल के नुकसान की घटनाओं को बेहद संवेदनशील बताया है. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों पर परीक्षण करने का निर्णय लिया है.
अमर उजाला के अनुसार, चीफ जस्टिस जेएस खेहर और न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ ने केंद्र सहित सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए किसानों द्वारा खुदकुशी करने के कारण बताने के लिए कहा है. पीठ ने साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
सिटिजन रिर्सोसेज एंड एक्शन एंड इनिसयेटिव नामक गैर सरकारी संगठन द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि यह मसला जनहित से जुड़ा है. केंद्र और राज्य सरकारों को आपसी भागीदारी के जरिए प्रभावी नतीजे पर पहुंचने की जरूरत है.
वकील की दलीलों को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि हम समझ सकते हैं कि इस मसले पर कुछ करने की जरूरत है. खासकर जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं. यह कुछ एक किसान से जुड़ा मसला नहीं है. लिहाजा हमारा मानना है कि इसे लेकर कोई नीति होनी चाहिए. साथ ही पीठ ने कहा कि कर्ज की अदायगी भी एक अहम पहलू है. लिहाजा शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र, सभी राज्यों और आरबीआई को प्रतिवादी बना दिया.
बता दें कि सिटिजन रिर्सोसेज एंड एक्शन एंड इनिसयेटिव नामक संगठन द्वारा यचिका में कृषि नीति और सूखे व प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाली फसलों की क्षति पर किसानों को मिलने वाले मुआवजे की नीति में व्यापक सुधार करने की गुहार की गई है. वास्तव में याचिका में गुजरात सरकार को उन 692 किसानों के परिवारवालों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने की गुहार की गई थी जिन्होंने वर्ष जनवरी 2003 से अक्टूबर 2012 के बीच खुदकुशी की थी.