इलाहाबाद हाईकोर्ट में 30 से 40 वर्षों से लंबित आपराधिक मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इस समस्या से निजात पाना जरूरी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों के जल्द निपटारे के लिए प्रभावी कदम उठाने की दरकार है।
न्यायमूर्ति अभय मोहन सप्रे और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को अमाइकस क्यूरी वरिष्ठ वकील एमएन राव से दो महीने के भीतर इस विकट समस्या से निपटने का उपाय सुझाने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा कि टेस्ट केस के तौर पर पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की समस्या को निपटाने का उपाय सुझाया जाए। मालूम हो कि इससे पहले न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी लेकिन जस्टिस चेलमेश्वर के सेवानिवृत्ति के बाद अब मामले की सुनवाई नई पीठ के समक्ष हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में कहा था कि आपराधिक मामले दशकों तक लंबित नहीं रहने चाहिए क्योंकि इस वजह से आरोपी लंबे समय तक जेल में रहते हैं। लिहाजा ऐसे मामलों के जल्द निपटारे के लिए प्रभावी कदम उठाने की दरकार है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हम समझ सकते हैं कि इसमें कुछ व्यावहारिक परेशानी आ सकती है, लेकिन इसे लेकर प्रभावी कदम उठाना ही पड़ेगा।