लखनऊ: उत्तर प्रदेश में व्या पम घोटाले जैसा ही एक ससनीखेज मामला सामने आया है। जहां 600 से अधिक अयोग्य छात्रों के एमबीबीएस परीक्षा पास कर डॉक्टर बन्ने का मामला सामने आया है। आपको बता दें कि पैसों के बदले इन मेडिकल छात्रों को परीक्षा पास कराने में मदद करने वाले एक रैकेट का भी पर्दाफाश हुआ है।
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पुलिस के अनुसार, अयोग्य छात्रों को मेडिकल परीक्षा पास कराने के लिए मदद कराने वाला रैकेट 2014 से सक्रिय है। इस रैकेट में यूपी के बड़े शिक्षण संस्थान मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के भी छह अफसरों समेत नौ लोगों के शामिल होने की बात भी सामने आई है। इनकी पहचान हो गई है। ये सभी आरोपी मेडिकल छात्रों को बड़े स्तर पर नकल कराने का काम करते थे।
वहीँ टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सोमवार (19 मार्च) को इस मामले में मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों ही छात्रों पर आरोप है कि इन्हों ने परीक्षा पास करने के लिए नकल माफिया को 1-1 लाख रुपये दिए।
मामले को उजागर करने वाली स्पेाशल टास्क फोर्स के मुताबिक जिन दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया है, उन्हेंफ नकल माफिया तक पहुंचाने में उनके साथ ही पढ़ने वाली मेडिकल छात्रा का हाथ होने की बात सामने आई है। मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में दूसरे साल की इस छात्रा ने ही दोनों मेडिकल छात्रों को नकल माफिया तक पहुंचाया। हालांकि अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।
बता दें कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए दो छात्रों में से एक छात्र आयुष कुमार के पिता गुरुग्राम में स्थित प्रमुख मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टार हैं। जो हरियाणा के पानीपत का रहने वाला है। दूसरा छात्र स्वर्णजीत सिंह है जो कि पंजाब के संगरूर का रहने वाला है। दोनों ही मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में दूसरे साल के छात्र हैं।