लोकसभा चुनाव 2019 : गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग सबसे बड़ी बाधा

2019 के लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दल अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। दोनों प्रमुख पार्टियां नए गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उनके सामने सीट शेयरिंग का मसला सबसे बड़ी बाधा बनकर उभर रहा है।

पहले जिन राज्यों में बीजेपी जूनियर पार्टनर के तौर पर थी अब वहां उसने अपना दबदबा बढ़ाया है। ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियों के लिए चुनौती बढ़ गई है। जो पार्टियां बीजेपी के खिलाफ हैं उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती दूसरे दलों से अपने मतभेदों को भुलाकर बीजेपी को शिकस्त देने के लिए गठबंधन तैयार करना है।

ऐसी भी पार्टियां हैं जिनकी मुख्य विरोधी कांग्रेस है और वे उस गठबंधन में शामिल नहीं हो सकती हैं जिसमें कांग्रेस शामिल हो। वहीं, कुछ दल अभी अपने पत्ते खोलने से बच रहे हैं।

ये पार्टियां हालात का विश्लेषण कर उस खेमे के साथ जुड़ना चाहती हैं जिसमें जीत सुनिश्चित हो। संभावना यह भी है वे नतीजे सामने आने के बाद फैसला लें। फिलहाल राज्यवार तस्वीर कुछ इस तरह से है-

उत्तर प्रदेश (80 लोकसभा सीटें)
2014: बीजेपी ने 71 सीटें जीतीं, जबकि सहयोगी अपना दल ने 2 सीटों पर कब्जा जमाया। SP ने पांच और कांग्रेस ने मात्र 2 सीटें जीती थीं। बीएसपी को सबसे बड़ा झटका लगा था, इस चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला।

2017 के विधानसभा चुनावों में भी पार्टियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा जब बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 403 सदस्यीय असेंबली में 325 सीटें सुरक्षित कर लीं। ऐसे में सपा, बसपा, आरएलडी और कांग्रेस को बीजेपी का मुकाबला करने के लिए एकजुट विपक्ष की भूमिका तैयार करने को मजबूर होना पड़ा।

पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी 34 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही, एसपी 31 सीटों पर, कांग्रेस 6 और आरएलडी और आप दोनों एक-एक सीटों पर। अगर यह फॉर्म्युला स्वीकार किया जाता है तो एसपी कुल 36 (5 सीटें जिस पर जीत मिली+31 जहां वह दूसरे नंबर पर रही), बीएसपी 34, कांग्रेस 8 (2+6) जबकि आरएलडी कम से कम 3 सीटों की मांग कर सकती है।

अड़चन: बसपा कांग्रेस और आरएलडी ज्यादा सीटों की मांग कर सकती हैं जबकि मायावती अपने वोटों को दूसरे दलों को ट्रांसफर कर सकती है, संभावना इस बात की भी बन रही है कि इसका उल्टा भी देखने को मिल सकता है।

महाराष्ट्र (48 सीटें)
2014: बीजेपी ने 22 सीटें जीतीं, शिव सेना ने 18, एनसीपी ने 6 और कांग्रेस व शेतकारी संगठन को 1-1 सीट मिली। शिवसेना ने घोषणा की है कि वह बीजेपी के साथ 2019 का चुनाव नहीं लड़ेगी।

हालांकि बीजेपी को उम्मीद है कि गठबंधन आगे भी जारी रहेगा। बीजेपी महाराष्ट्र में अब शिवसेना की तुलना में बड़ी पार्टी है। 2019 में सीट शेयरिंग: कांग्रेस और एनसीपी ने उपचुनाव मिलकर लड़ा और उम्मीद है कि अगला लोकसभा चुनाव भी वे साथ लड़ेंगी। बीजेपी और SS को सत्ताविरोधी लहर का सामना करना है और ऐसे में उनके लिए साथ रहना ही बेहतर होगा।

पश्चिम बंगाल (42 सीटें)
2014: तृणमूल कांग्रेस ने 34 सीटें, कांग्रेस ने 4, सीपीएम और बीजेपी ने 2-2 सीटें जीती थीं। बीजेपी ने 2019 के लिए 20 से ज्यादा सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी टारगेट बना रखा है। पिछले कुछ महीनों में हुए चुनावों में उसका वोट शेयर बढ़ा है और राज्य में बीजेपी तृणमूल की मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है।

बिहार (40 सीटें)
2014: बीजेपी ने 22 सीटें जीतीं। एलजेपी को 6 जबकि आरएलएसपी को 3 सीटों पर कामयाबी मिली। अकेले चुनाव लड़ने वाली जेडीयू को केवल 2 सीटों पर ही जीत मिली, आरजेडी को 4 जबकि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली।

विधानसभा चुनाव में जेडीयू, आरएलडी और कांग्रेस ने गठबंधन बनाया लेकिन जेडीयू ने बाद में आरजेडी से नाता तोड़ लिया। फिलहाल जेडीयू सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। नीतीश कुमार इस समय लालू प्रसाद और बीजेपी दोनों से संबंध बराबर रखे हुए हैं।

कर्नाटक (28 सीटें)
2014: भाजपा ने 17, कांग्रेस ने 9 और जेडीएस ने 2 सीटें जीती थीं। कांग्रेस और जेडीएस ने राज्य में मिलकर सरकार बनाई है। ऐसे में 2019 में उनका गठजोड़ बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। बीजेपी इस उम्मीद में है कि एचडी कुमारस्वामी की सरकार चुनाव से पहले ही गिर जाए।

आंध्र प्रदेश (25)
2014: टीडीपी ने 15 सीटें जीती थीं, वाईएसआरसीपी ने 8 और बीजेपी ने 2, बीजेपी का उस समय टीडीपी के साथ अलायंस था। टीडीपी इस समय एनडीए से बाहर है और उसने आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने का आरोप बीजेपी पर लगाया है। वाईएसआरसीपी की भी अपनी स्थिति मजबूत दिख रही है।

झारखंड (14)
2014: भाजपा ने 12 सीटें जीतीं जबकि जेएमएम ने दो पर अपना कब्जा जमाया। 2019: जेएमएम और कांग्रेस हाथ मिला सकते हैं। राज्य की बीजेपी सरकार को ऐंटी-इनकंबेंसी का सामना करना होगा और ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव में उसके समीकरण गड़बड़ा भी सकते हैं।

तेलंगाना (17)
2014: टीआरएस ने 11 सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने 2 और बीजेपी, वाईएसआरसीपी, टीडीपी और मजलिस को 1-1 सीटें मिली थीं। 2019: टीआरएस त्रिशंकु संसद बनने की स्थिति में किसी गठबंधन में शामिल हो सकती है।

राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ जैसे दूसरे बड़े राज्यों और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा जैसे छोटे राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच में सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। 38 लोकसभा सीटों वाले तमिलनाडु की तस्वीर दिलचस्प है। द्रमुक ने कहा है कि वह कांग्रेस के साथ अपने गठजोड़ को जारी रखेगी और वह अन्नाद्रमुक की तुलना में चुनाव जीतने के लिए मजबूत स्थिति में दिख रही है। यहां बीजेपी के लिए संभावनाएं काफी कम बच रही हैं। उड़ीसा में बीजेपी क्या बीजेडी को मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर चुनौती दे पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।