यूपी निकाय चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने खूब खुशियां मनाईं. यूपी में जीत का जश्न गुजरात तक हुआ. 16 में से 14 मेयर सीटों पर बीजेपी की जीत हुई. 595 पार्षद सीटों पर भी बीजेपी जीत गई. नगर पालिका अध्यक्ष की 70 सीटों पर और नगर पालिका सदस्य की 922 सीटों पर भी भगवा फहराया. नगर पंचायत अध्यक्ष की 100 सीटों पर और नगर पंचायत सदस्य की 664 सीटों पर भी बीजेपी ने जीत हासिल की है. निसंदेह पहली नज़र देखने में ये आंकडा बेहद सुनहरा लगता है लेकिन हालात वाकई इतने सुनहरे नहीं हैं और बीजेपी के पुराने नेता इस बात को समझ भी रहे हैं.
CONSTITUENCY | PARTY | SEATS WON |
---|---|---|
KANPUR | BJP | 58 |
LUCKNOW | BJP | 53 |
GHAZIABAD | BJP | 57 |
AGRA | BJP | 53 |
VARANASI | BJP | 39 |
MEERUT | BSP | 28 |
ALLAHABAD | BJP | 22 |
BAREILLY | BJP | 37 |
ALIGARH | BSP | 21 |
MORADABAD | BJP | 35 |
SAHARANPUR | BJP | 28 |
GORAKHPUR | BJP | 27 |
FIROZABAD | BJP | 19 |
MATHURA | BJP | 41 |
JHANSI | BJP | 21 |
AYODHYA | BJP | 48 |
ये रही 16 नगर निगमों में चुने गए सभी नए मेयरों की पूरी लिस्ट
आगरा- नवीन जैन (बीजेपी)
अलीगढ़- मोहम्मद फुरकान (बीएसपी)
वाराणसी- मृदुला जायसवाल (बीजेपी)
गोरखपुर- सीताराम जायसवाल (बीजेपी)
कानपुर- प्रमिला पांडे (बीजेपी)
फिरोजाबाद- नूतन राठौर (बीजेपी)
गाजियाबाद- आशा शर्मा (बीजेपी)
लखनऊ- संयुक्ता भाटिया (बीजेपी)
सहारनपुर- संजीव वालिया (बीजेपी)
मथुरा- मुकेश आर्य बंधु (बीजेपी)
अयोध्या- ऋषिकेश उपाध्याय (बीजेपी)
इलाहाबाद- अभिलाषा गुप्ता (बीजेपी)
मुरादाबाद- विनोद अग्रवाल (बीजेपी)
झांसी- रामतीर्थ सिंघल (बीजेपी)
बरेली- उमेश गौतम (बीजेपी)
मेरठ- सुनीता वर्मा (बीएसपी)
पालिका और पंचायत में पीछे
मेयर चुनाव में बीजेपी की जीत का प्रतिशत रहा 87.5 जो निसंदेह कमाल का है. पार्षद पदों पर ये प्रतिशत 45.85 रह गया. नगर पालिका अध्यक्ष पदों पर 35.35 प्रतिशत और नगर पालिका सदस्य पदों पर 17.53 प्रतिशत में ही ये आंकडा सिमट गया. नगर पंचायत अध्यक्ष पदों पर ये आंकडा 22.83 रहा तो वहीं नगर पंचायत सदस्य पदों पर मात्र 12.22 प्रतिशत.
तो 16 में से 14 का जो आंकडा सुनहरा लग रहा था, इन नए आंकडों को देखने के बाद वो कैसा लग रहा है? यकीनन अब सुनहरा रंग फीका पड़ने लगा होगा. आखिर क्या वजह रही जो मेयर चुनाव की चैम्पियन बीजेपी नगर पालिका और नगर पंचायत में कमाल नहीं दिखा पाई?
वही सवाल भी EVM पर सभी पार्टियों ने उठाये बीजेपी की जीत पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहा कि ईवीएम की वजह से बीजेपी ने चुनाव जीता । समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक अखिलेश ने कहा, ‘यूपी में नगर निकाय चुनावों में महापौर की कुल 16 सीटों में से 14 सीटों में बीजेपी ने जबकि 2 पर बीएसपी ने जीत हासिल की है, वहीं कांग्रेस और सपा ने यहां कोई जीत नहीं हासिल की, तो हम कहते हैं कि बैलेट पेपर से जिन इलाकों में वोटिंग हुई वहां बीजेपी का जीत प्रतिशत 15 है, वहीं ईवीएम से जहां-जहां वोटिंग हुई वहां पार्टी का जीत प्रतिशत 46 है।’ वही गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने भी कुछ आंकड़े पेश करते हुए फेसबुक पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा है की ईवीएम के सहारे ही बीजेपी ने यह चुनाव जीता है।
उन्होंने फेसबुक लिखा , ‘महापौर की 16 में से 14 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया, वहीं 2 पर हार मिली। इसके लिए ईवीएम से चुनाव हुए थे। वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष की 437 सीटों के परिणाम आए, जिन पर बैलेट पेपर से वोटिंग हुई थी, जिसमें बीजेपी ने 100 सीटें जीतीं वहीं 337 हारीं। नगर पंचायत सदस्य की 5390 सीटों के परिणाम आए, इसके लिए भी बैलेट पेपर से चुनाव हुआ था, इसमें बीजेपी ने 662 सीटें जीतीं तो वहीं 4728 हारीं। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के लिए भी बैलेट पेपर पर चुनाव हुआ, इसमें 195 सीटों में से बीजेपी ने 68 सीटें जीतीं तो वहीं 127 हारीं। नगर पालिका परिषद सदस्य के लिए भी बैलेट पेपर के जरिए ही वोट डाले गए, यहां 5217 सीटों में से बीजेपी ने 914 सीटें जीतीं तो वहीं 4303 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। नतीजा… ईवीएम का सहारा है।
आम आदमी पार्टी ने ईवीएम पर सवाल खड़े किए हैं। ‘आप’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने बीजेपी की जीत के लिए वोटिंग मशीन में गड़बड़ी को जिम्मेदार ठहराया है। बता दें कि इस चुनाव में बीजेपी में बड़ी जीत दर्ज की है।
संजय सिंह ने कहा, ‘बीजेपी ने उन्ही सीट पर जीत दर्ज की है, जिनपर ईवीएम से मतदान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘मतपत्र से मतदान वाले पदों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। सच्चाई ये है कि बीजेपी नगर निगम चुनाव में ही बहुमत के साथ जीती है, क्योंकि वहां ईवीएम से मतदान कराया गया, जबकि नगर पंचायत और नगर पालिका परिषद के चुनाव में मतपत्र से वोट डाले गए, तो बीजेपी को बेहद कम सीटें मिलीं। इससे साफ हो गया है कि जहां ईवीएम का इस्तेमाल हुआ, वहां बीजेपी शेर बन गई और जहां मतपत्र से मतदान हुआ वहां ढ़ेर हो गई। बता दें कि आप लगातार यह कह रही है जब तक ईवीएम से चुनाव होंगे, तबतक बीजेपी और नरेंद्र मोदी जीतते रहेंगे। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर ये बात सच साबित हुई है।
संजय सिंह ने कहा, ‘जिस तरह इस चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने समर्थन दिया है, उसके लिए पार्टी राज्य की जनता का आभार जताती है। साथ ही उसकी सेवा की प्रतिबद्धता प्रकट करती है।’ ईवीएम के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा आप भविष्य में भी उठाती रहेगी। सिंह ने कहा कि हमने पहले भी चुनाव आयोग को ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत की थी अब फिर इसकी शिकायत करेंगे।’
निर्दलियों पर जनता का भरोसा
निर्दलीय उम्मीदवारों ने 224 पार्षद पद जीते है. नगर पालिका अध्यक्ष के 43 पदों और नगर पालिका सदस्य के 3380 पदों पर कब्जा किया जो 64.25 प्रतिशत है. ये तथ्य भी हैरान करने वाला है कि निर्दलीय उम्मीदवारों ने नगर पंचायत अध्यक्ष के 182 पद (41.55%) और नगर पंचायत सदस्य के 3875 पदों (71.31 %) पर कब्जा कर लिया.
जनता ने इतनी बड़ी तादाद में निर्दलीयों पर भरोसा जताया है तो कहीं ना कहीं, कोई ना कोई बात तो जरूर रही होगी. आखिर क्यों यहां कोई पार्टी कुछ कमाल नहीं दिखा पाई. क्या ये माना जाना चाहिए कि बीजेपी की कथित लहर यहां शांत पड़ गई.
वही मायवती ने भी बसपा कार्यालय से जारी किए गए अपने बयान में कहा है कि सिर्फ अलीगढ़ और मेरठ की सीटों पर ही क्यों… भाजपा मेयर के सभी 16 पदों पर बैलेट पेपर से चुनाव कराए तो उनकी असलियत सामने आ जाएगी।
वही कुछ का कहना है टिकट कटने से नाराज कार्यकर्ताओं ने भी पहुंचाया नुकसान
बीजेपी के पुराने लोग जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई तरह की चर्चाएं भी चल रही हैं जिनमें सबसे बड़ी चर्चा टिकट कटने से नाराज कार्यकर्ताओं की नाराजगी है. यूपी भर में ऐसे कई लोगों के टिकट काटे गए जो सालों से इन चुनावों के लिए पसीना बहा रहे थे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खास तौर पर इस बात की चर्चा है. अलीगढ़ और मेरठ में मेयर पद पर हार के लिए भी इसी फैक्टर को जिम्मेवार बताया जा रहा है.
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