अमेरिका के सुरक्षा विभाग ने इस बात का खुलासा किया है कि अमेरिकी सेना में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में तेज़ी से बढ़ौतरी हुई है। साल 2016 में सबसे ज़्यादा यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए।
अमेरिकी सेना में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न का मामला उस वक्त सामने आया जब कुछ नौसैनिक महिलाओं की नंगी तस्वीरें ऑनलाइन साझा कर रहे रहे थे। जिसके बाद इसके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए और वरिष्ठ सांसदों ने इसकी निंदा की।
सालाना सैन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में 6,172 यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए जबकि 2015 में 6,082 उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए थे। यह 2012 की तुलना में तेज छलांग थी जब 3,604 मामले दर्ज किए गए थे।
सुरक्षा विभाग की सहायक सचिव एलिजाबेथ वान विंकले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शिकायतों में बढ़ौतरी इस बात का संकेत है कि हमारी प्रतिक्रिया और समर्थन प्रणालियों में लोगों का विश्वास बढ़ा है।
सीनेटर कर्स्टन गिलब्रांड ने एक बयान में सवाल उठाया कि क्या वास्तविक प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि सेना में यौन उत्पीड़न की दिक्कत जस की तस बनी हुई है।
सशस्त्र सेवा समिति के एक वरिष्ठ सदस्य और यौन अपराधों के पूर्व अभियोजक सेन क्लैर मैककक़किल ने एक बयान में कहा, ‘ये संख्या सैन्य न्याय प्रणाली के हमारे ऐतिहासिक सुधारों के नतीजों में वास्तविक और निरंतर प्रगति दिखाती हैं।
हम पीड़ितों के बीच बढ़ते हुए विश्वास को जारी रखना चाहते हैं कि वह बिना किसी डर के इसके खिलाफ शिकायत कर सकें।
पिछले साल मिसौरी के मैक कैस्किल और लोवा के सेन जोनी अर्नेस्ट ने ‘सैन्य प्रतिशोध निवारण एक्ट’ बनाया जिसका उद्देश्य यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करने के लिए प्रतिशोध समाप्त करना है।
हालिया सैन्य रिपोर्ट की मानें तो 58 प्रतिशत मामलों में यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करने के लिए पीड़ितों को दोबारा यौन उत्पीड़न का अनुभव करना पड़ा।
वान विंकले ने कहा कि सेना में यौन उत्पीड़न के मामले अभी खत्म होते दिखाई नहीं दे रहे। हम कामयाबी और प्रगति के बीच के अंतर को बाखूबी जानते हैं।
ग़ौरतलब है कि अमेरिका में महिलाएं बुढ़ापे में बेघर होने से बचने के लिए सेना की नौकरी ज्वाइन करती हैं। लेकिन सेना में बढ़ते यौन उत्पीड़न के मामलों ने महिलाओं के सामने सुरक्षा का सवाल खड़ा कर दिया है।