Sexual harassment की शिकार ख्वातीन को इंसाफ दिलाने के लिए जिस काननू को पार्लियामेंट ने इस साल अप्रैल में पास किया था वह अब तक लागू ही नहीं हुआ है। यह कानून वज़ारत ए कानून (Law ministry) और ख्वातीन व बच्चों की तरक्की की वज़ारत (Ministry of Women and Child Development) के बीच लटकी हुई है।
तहलका के बानी एडीटर तरुण तेजपाल पर लगे जिंसी इस्तेहसाल के इल्ज़ामात के मद्देनजर इस कानून की नोटिफिकेशन को अहम माना जा रहा है। इसके लागू हो जाने पर तेजपाल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
Law ministry का दावा है कि उसे अभी इस कानून का आखिरी फारमेट नहीं मिला है, जबकि डब्ल्यूसीडी के आफीसरों का कहना है कि वे Law ministry के साथ इस कानून के नियमों को आखिरी शक्ल देने के लिए लंबी चर्चाएं कर रहे हैं।
ख्वातीन की जिंसी इस्तेहसाल (Prevention, Prohibition and Prevention) कानून, 2013 को इस साल अप्रैल में पार्लियामेंट ने पास किया था।
इस ताल्लुक में हफ्ते के रोज़ जब वज़ारत ए कानून से राबिता किया गया तो उसने साफ किया कि कानून उसके पास नहीं लटका है। उसने यह भी कहा कि वह डब्ल्यूसीडी से कानून के आखिरी मसौदे के मिलने का इंतेजार कर रहा है। Law Department के सेक्रेटरी पीके मिश्र ने डब्ल्यूसीडी वज़ारत के अपने सामने नीता चौधरी को लिखा है कि कानून बनाने का मुद्दा उनके वज़ारत के पास पेंडिंग नहीं है इसे यह साफ करें।
इस बीच, चौधरी ने अपनी ओर से दोनों वज़ारतों के बीच खत व किताबत की तस्दीक की है और यह भी कहा है कि अभी इस कानून के शराईत को आखिरी शक्ल नहीं दिया गया है। इस कानून के लागू हो जाने के बाद दस या इससे ज़्यादा मुलाज़्मीन वाले सभी दफ्तरों के लिए जिंसी इस्तेहसाल (Sexual harassment ) के मामलों से निपटने के लिए अंदरूनी शिकायत कमेटी की तश्कील करना लाज़मी हो जाएगा।