मुश्किल की घड़ी में हम ईरान के साथ खड़े हैं- पाकिस्तान

ईरान के रुख को सत्यापित करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने बार-बार सत्यापन किया कि ईरान ने समझौते की शर्तों का सख्ती से पालन किया है।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने शुक्रवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता के दौरान ईरानी परमाणु मुद्दे से संबंधित अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते पर ईरान को अपना समर्थन व्यक्त किया। दो दिवसीय यात्रा पर पाकिस्तान पहुंचे ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जावद जरिफ ने विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी के साथ विस्तृत वार्ता की।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक दोनों पक्षों ने वार्ता के दौरान सहयोग के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया और द्विपक्षीय राजनीतिक परामर्श और संयुक्त आर्थिक आयोग के अगले दौर की मेजबानी की।

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 2015 में हस्ताक्षर किए गए संयुक्त व्यापक योजना को एकतरफा रूप से वापस लेने के लिए यू.एस. के निर्णय सहित, अफगानिस्तान की स्थिति और अन्य क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने आगे कहा “जेसीपीओए के संबंध में, ईरान के सिद्धांतबद्ध दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए हम आशा करते हैं कि समझौते के लिए शेष पार्टियां पत्र और भावना में अपनी प्रतिबद्धताओं को कायम रखेगी।”

ईरान के रुख को सत्यापित करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने बार-बार सत्यापन किया कि ईरान ने समझौते की शर्तों का सख्ती से पालन किया है। कभी कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। पाकिस्तान इस महती जरुरत के समय ईरान के साथ खड़ा है।”

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने भी ईरान के विदेश मंत्री ज़रीफ से भी मुलाकात की। ज़रीफ ने ईरान में आगामी एशियाई सहयोग वार्ता (एसीडी) शिखर सम्मेलन के लिए इमरान खान को आमंत्रित करते हुए ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी का संदेश भी दिया।

पाकिस्तान और ईरान दोनों इस संगठन के सदस्य हैं। ईरान वर्तमान में संगठन की अध्यक्षता कर रहा है, जिसका उद्घाटन जून 2002 में थाईलैंड में हुआ था।

बता दें कि ईरानी परमाणु मुद्दे अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई में ईरान के साथ किये गए परमाणु समझौते से वापसी की घोषणा की। अमरीका ने इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सहित और कई देशों की आलोचना की।