शाहिद आज़मी जो मरकर भी नहीं मरे

मुंबई के युवा शाहिद आज़मी को भारत के बड़े नेताओं को मारने की योजना बनाने के अपराध में सात साल जेल में रखा गया। जो अपराध उन्होंने कभी किया ही नहीं था।

वो जेल में पढ़े, वकील बने और ऐसे वकील बने कि सरकार द्वारा फर्जी मामलों में फंसाये गए 17 लोगों को बरी करा दिया। शाहिद के सामने सरकारी वकील पानी मांग जाते थे। अंत में शाहिद को उनके कार्यालय में गोली मार दी गई।

शाहिद मरकर भी मरे नहीं। वे सरकारी ज़ुल्म के खिलाफ एक इंसान के संघर्ष का उदाहरण बन गए। आज बस्तर वैसे ही ज़ुल्मों का सामना कर रहा है। हजारों लोग जेलों में है। पुलिस द्वारा बलात्कार, हत्या और गायब कर देना रोज़मर्रा की बात है।

बस्तर के लोगों के संघर्ष की बात करने के लिए दिल्ली में एक कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का आयोजन शाहिद आज़मी स्मृति लेक्चर समिति द्वारा किया गया है।

5, अप्रैल शाम 4:30 बजे  इंडियन लॉ इंस्टियूट में बस्तर से बेला भाटिया बस्तर के लोगों के संघर्ष की जानकारी देंगी। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े कार्यक्रम के अध्यक्ष होंगे।

 

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