जब यूपी पुलिस बोली, ‘मांस की सभी दुकाने ​बंद करों वरना गुंडा एक्ट में जाओगे जेल’

शम्स तबरेज़, सियासत न्यूज़ ब्यूरो।
ज़मानियांँ(ग़ाज़ीपुर):
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पूरे देश में सबका साथ और सबका विकास का नारा दिया था। अब धीरे बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व देश के सभी राज्यों में भाजपा की सरकार बनाने पर ज़ोर दे रही है।
यूपी में अवैध बूचड़खानों के नाम पर अल्पसंख्यकों पर निशाना

अभी हाल में यूपी के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई है लेकिन जैसे ही यूपी का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बनाया तब से उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को खतरे की घंटी सुनाई देने लगी।
अवैध बूचड़खानों पर योगी का एक्शन


योगी आदित्यनाथ ने सीएम बनते ही अवैध बुचड़खानों पर कार्रवाई के आदेश दिए वो भी इस निर्देश के साथ कि किसी भी वैध ​बूचड़खानों पर कार्रवाई नहीं होगी ये कार्रवाई केवल अवैध बूचड़खानों किया जाएगा। जिसका परिणाम ये हुआ कि पूरे प्रदेश में अवैध बूचड़खानों की तालाबंदी शुरू हो गई लेकिन सीएम योगी के हिटलिस्ट में सिर्फ और सिर्फ अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई की बात कही गई थी लेकिन प्रदेश में लखनऊ समेत तमाम गोश्त की दुकानों पर दुकानबंदी का ताला नज़र आने लगा।
सरकारी गुंडा बनी पुलिस: वैध बुचड़खाना और वैध दुकानदार, फिर दुकाने बंद


योगी सरकार का कहना है कि कार्रवाई सिर्फ अवैध बूचड़ खानों पर हो रही है, लेकिन ग़ाज़ीपुर ज़िले के जमांनियाँ कस्बे में एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला है, जिसके बाद सबका साथ और सबका विकास का नारा लगाने वाली सरकार कटघरे में खड़ी हो गई है। दरअसल ज़मानियां कस्बे में नगर निगम ने यहां बकायदा गोश्त कारोबारियों के लिए एक बूचड़खाने का निर्माण करा रखा है जिससे छोटे मांस कारोबारी अपना घर चलाते हैं, लेकिन इस बीच इन मांस कारोबारियों ने अपनी दुकाने बंद कर रखी है।
पुलिस की दादागीरी: एक भी दुकान खुली तो गुंडा एक्ट में होगी कार्रवाई

मांस कारोबारियों का पुलिस पर आरोप है कि एक सप्ताह से पुलिस ने उनकी दुकाने बंद करा रखी है। पुलिस कहती है कि अगर दुकान खुला तो गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई ​होगी। वहीं सीएम योगी का कहना है कि कार्रवाई केवल अवैध बूचड़खानों पर हो रही है जो वैध बूचड़खाने हैं, उनको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। जबकि व्यापारियों का आरोप है उनके पास वैध बूचड़खाना है और दुकानदारों के पास वैध लाईसेंस भी है इसके बावजूद ज़मानियां के थाना प्रभारी केपी सिंह ने उनकी दुकाने बंद करा रखी ही और ये चेतावनी दे रखी है कि अगर आज के बाद दुकान खुला तो गुंडा एक्ट लगेगा। सियासत ब्यूरो से बात करते हुए ज़मानियां कस्बा निवासी ‘मोहम्मद अकील अज़हर’ बताते हैं कि एक हफ्ते पहले यहां के ‘एसएचओ केपी सिंह’ ने सभी मांस कारोबारियों को थाने बुलाया और ये हिदायत दी कि देखो आज के बाद सभी दुकाने बंद होनी चाहिए वरना तुम्हारे ऊपर गुंडा एक्ट लगेगा, तुम्हारी भलाई इसी में है कि दुकाने बंद रखो।’
मांस व्यापारियों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली।

ज़िला प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत मीडिया के सामने

मोहम्मद अकील ने सियासत ब्यूरो के कैमरा और माईक सामने ही ज़िलाधिकारी कार्यालय से फोन पर बात की और समस्या बताई तो डीएम ने एसपी से बात करने के लिए कहा। जब मोहम्मद अकील ने एसपी से बात की और लाईसेंसधारी दुकाने बंद कराए जाने पर सवाल किया तो एसपी ने कहा कि दुकाने खुलवाने का कोई उनके पास आदेश नहीं आया है। इस बारे में एसपी ने मोहम्मद अकील को डीएम से बात करने को कहा।
दुकाने बंद होने से मांस कारोबारी काफी परेशान हैं। उनके सामने रोज़गार का कोई दूसरा विकल्प नहीं है और अब उनका परिवार भूखमरी का शिकार हो चुका है।
मांस कारोबारियों का कहना है कि इनके पास वैध लाईसेंस है, सियासत से बात करते हुए कुछ दुकानदारों ने अपने लाईसेंस भी दिखाए लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या ये है कि वैध होने के बावजूद भी वो अपनी दुकाने नहीं खोल सकते।
क्षेत्रीय विधायक से बात, लेकिन फोन उनके रिश्तेदार ने उठाया बोला, विधायक जी मीटिंग में हैं


मांस कारोबारी ज़मानियाँ की नई विधायक सुनीता सिंह को फोन करते हैं, लेकिन विधायक का फोन खुद विधायक ने नहीं उठाया, बल्कि विधायक के देवर ने फोन उठाकर समस्या सुना और कहा विधयक जी अभी मीटिंग में है।
क्या बूचड़खानें के बहाने अल्पसंख्यकों को आर्थिक रूप से कमज़ोर करने की हो रही साजिश?

राज्य सरकार अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई करने की बात रही है और सीएम योगी ने भी कह रखा है कि जो वैध बूचड़खानें को डरने की ज़रूरत नहीं, उनपर कोई कार्रवाई नहीं किया जाएगा। जबकि राज्य सरकार और प्रशासन ने ऐसी कार्रवाई से इतने बड़े पैमाने पर छोटे और बड़े व्यापारियों के रोज़गार पर तालाबंदी कर दिया गया है। व्यापारियों का कहना है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बूचड़खानों के बहाने अल्पसंख्यक मुसलमानों को आर्थिक रूप से कमज़ोर करना चाहती है। फिलहाल सरकार की कहनी और कथनी में ज़मीन आसमान का अन्तर नज़र आ रहा है लेकिन सवाल ये है ​कि ये मांस कारोबारी अपनी दुकाने आखिर कितने दिन तक बंद करके रखेंगे?