राज्य सभा से सदस्यता खत्म करने को लेकर मिले नोटिस के बाद जनता दल यूनाइटेट (जेडीयू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि उनकी लड़ाई पद की नहीं सिद्धांत और संविधान बचाने की है।
बुधवार को एक पत्रकार द्वारा राज्य सभा की सदस्यता पर मंडराते ख़तरे को लेकर पूछे गए सवाल पर शरद यादव ने कहा, ‘हम पहाड़ से लड़ रहे हैं तो यह सोच कर ही लड़ रहे हैं कि चोट तो लगेगी ही। राज्य सभा की सदस्यता बचाना बहुत छोटी बात है, हमारी लड़ाई साझी विरासत बचाने की है। सिद्धांत के लिए हम पहले भी संसद की सदस्यता से दो बार इस्तीफा दे चुके हैं’।
इस दौरान शरद यादव ने यह साफ कर दिया कि चुनाव आयोग में उन्होंने नहीं बल्कि जेडीयू से निकाले गए महासचिवों ने अपना दावा पेश किया है, इसमें वह महासचिवों के साथ हैं।
जेडीयू के भविष्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को पार्टी कार्यकारिणी और आठ अक्टूबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद जेडीयू बड़े रुप में सामने आएगी।
यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारे ‘मुख्यमंत्री मित्र’ ने खुद राजद प्रमुख लालू प्रसाद से जब महागठबंधन बनाने की पहल की थी तब भी वह भ्रष्टाचार के आरोपों से बाहर नहीं थे। जबकि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अचानक शुचिता के नाम पर गठजोड़ तोड़ दिया।
यादव ने कहा कि यह बिहार के 11 करोड़ मतदाताओं के साथ धोखा है, हमने सिद्धांत के आधार पर ही इसका विरोध किया।