लखनऊ: उत्तर प्रदेश के योगी सरकार और शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक तरफ योगी सरकार ने दोनों ही बोर्ड में विसंगतियों को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की है। तो वहीं दूसरी ओर सरकार को उस समय नाकामी का सामना करना पड़ा जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बोर्ड के सदस्यों को हटाने से संबंधित योगी सरकार के निर्णय को मानने से इंकार कर दिया और सभी को बहाल करने का आदेश सुनाया।
इसके बाद शिया बोर्ड की ओर से वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा को एक वक्फ संपत्ति के मामले में नोटिस भेज दिया गया। जिसके बाद सरकार और शिया बोर्ड में प्रत्यारोप का दौर जारी है।
मोहसिन रजा ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि सुन्नी और शिया दोनों ही बोर्ड जिस सोच के साथ स्थापित किए गए थे। वे वही काम करें। यह बोर्ड गरीबों की मदद के लिए स्थापित किए गए थे न कि किसी परिवार के ट्रस्ट के लिए। उन्होंने कहा कि मुझ पर क्या आरोप लगाए जाते हैं, मेरा उससे कोई लेना देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम जांच करने के साथ ही दोनों ही बोर्डों को डिजिटलाइजेशन करने जा रहे हैं, जिसकी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। यही नहीं अब वक्फ अधिनियम के हिसाब से ही मुतवल्ली रखे जाएंगे या निकाले जाएंगे। पहले बोर्ड अपनी मर्जी से किसी को भी मुतवल्ली रख लेता था।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर वक्फ की कीमती जमीन से करोड़ों का खेल हो रहा था। वहीं वक्फ बोर्ड के पास कर्मचारियों को देने के लिए वेतन तक के पैसे नहीं हैं। मैंने खुद वेतन देने के लिए मुख्यमंत्री से 5 करोड़ रुपये की मांग किया है।