CRPF के आईजी ने सिमलागुरी एनकाउंटर को बताया फर्जी, कहा- मारे गए व्यक्ति आतंकी नहीं, आम नागरिक थे

असम में सीआरपीएफ और सक्षस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के एनकाउंटर को लेकर चौकाने वाला खुलासा हुआ है। उत्तर-पूर्व सीआरपीएफ के आईजी रजनीश राय ने इस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया है। उन्होंने दावा किया है कि 10 मार्च 2017 को चिरंग जिले में सेना, असम पुलिस, सीआरपीएफ और सक्षस्त्र सीमा बल (एसएसबी) द्वारा किया गया एनकाउंटर फर्जी था।

रजनीश राय ने यह बात दिल्ली स्थित मुख्यालय को भेजे गए अपने रिपोर्ट में कही है। उन्होंने अपने रिपोर्ट में कहा है कि एनकाउंटर करने के लिए दो लोगों को मारकर उनके शवों पर हथियार प्लांट किया गया था ताकि लगे कि आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया था। उन्होंने रिपोर्ट में एनकाउंटर में मारे गए दोनों व्यक्ति का नाम लूकस नार्जेरी और डेविड इस्लेरी बताया है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, जिन दो लोगों का फर्जी एनकाउंटर सेना ने किया था उन्हें डी-कलिंग नाम के एक गांव के उनके घर से उठाया गया था। उन्हें सिमलागुरी गांव में फर्जी एनकाउंटर कर मार दिया गया था।

इसके बाद लूकस और डेविड को नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनबीएफबी(एस) नाम के संगठन का आतंकी होने का दावा किया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि मामले से जुड़ा एक चश्मदीद उत्तर-पूर्व सीआरपीएफ के आईजी रजनीश राय के हिरासत में सुरक्षित हैं जिसने शवों की पहचान की थी। आईजी ने अपनी रिपोर्ट में कई और भी दावे किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जीपीएस रिकॉर्ड यह दिखाते हैं कि कोबरा की एक सीआरपीएफ यूनिट एनकाउंटर स्थल पर एनकाउंटर होने से कुछ घंटे पहले गई थी ताकि एनकाउंटर को सही साबित किया जा सके।

इसके साथ-साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस घर से संदिग्ध आतंकियों को उठाया गया था वहां पर एक 11 साल का बच्चा भी मौजूद था जिसे ऑपरेशन के दौरान एक पड़ोस की महिला अपने साथ लेकर चली गई थी। फिलहाल सेना और एएसबी की तरफ से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।