वाराणसी: अवैध बूचड़खानों पर योगी सरकार की कारवाई का सबसे ज़्यादा असर केवल इस पर ही आश्रित गरीब परिवारों पर देखने को मिल रहा है। हालत यह है कि अब ऐसे परिवार भूखमरी के कागार पर पहुँच चुके हैं।
क्या है मामला?
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बूचड़खानों का मौजूदा हाल देखने के लिए सियासत की टीम वाराणसी पहुंची। टीम ने इस दौरान गोलगड्डा के पास अलईपुरा में कमलगढ़ा इलाके में मौजूद बूचड़खाने का जायज़ा लिया जो फिलहाल बंद चल रहा है। यहां का बूचड़खाना 29 साल के लीज़ एग्रीमेण्ट पर लिया गया है।
कैसा है अल-कुरैश वेल्फेयर सोसाईटी का बूचड़खाना?
इस बूचड़खाने को ‘अल कुरैश वेल्फेयर सोसाईटी’ संचालित कर रही है। लेकिन योगी सरकार के रातों रात लिए गए फैसले से 21 मार्च से यहाँ ताला पड़ा हुआ है।
इस बूचड़खानों से लगभग 25 हज़ार लोगों का रोज़ी रोटी चलती है, लेकिन इसके बंद हो जाने से इसपर निर्भर लोगों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे है और उनके सामने परिवार का पेट भरना फिलहाल सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
सियासत से बात करते हुए इस बूचड़खाने के मालिक वसीम अहमद बताते हैं कि 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार आई और लाईसेंस जारी किया गया, लेकिन 2014 के बाद जब इसके रिन्युअल करने की बारी आई पिछली सरकार ने इनका नवीनीकरण नहीं किया।
लाईसेंस रेन्युअल नहीं फिर भी प्रशासन लेता था टैक्स
राज्य सरकार ने इनको रिन्युअल तो नहीं किया और न ही इसके लिए कोई लिखित आदेश जारी किया, लेकिन इसके टैक्स का पैसा समय-समय पर लेती रही। उन्होंने कहा कि अब राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ तो नई सरकार ने इनको अवैध घोषित करके सीज़ कर दिया, जबकि हमारे पास पूरे दस्तावेज हैं और 14 करोड़ रूपया बूचड़खाने के लिए पास हुआ है।
25 हज़ार लोगों के परिवार पर संकट
इस बूचनड़खाने से लगभग 20-25 हज़ार लोग जुड़े हुए हैं, लेकिन अब उनकी हालत पूरी तरह चरमरा चुकी है।
सियासत से बात करते हुए इस सोसाईटी के सदस्यों ने कहा कि हम लोगों को अपना पेट चलाना मुश्किल हो गया है। हमें समझ में नहीं आ रहा कि क्या करे, किसके पास जाएं?
योगी सरकार पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप
सोसाईटी के सदस्यों ने कहा कि योगी सरकार ने सत्ता में आते ही एक कारवाई करा शुरू कर दिया है।
अवैध बूचड़खानों पर तालाबंदी के बाद से इससे जुड़े मुसलमानों के साथ-साथ हिन्दुओं को भी परेशानी का सामना कर पड़ रहा है। उनके सामने भी रोज़ी रोटी के लाले पड़ गए है।
सवाल सिर्फ मुसलमानों का नहीं बल्कि हिन्दू भी हैं परेशान
सियासत से बात करते हुए ‘सूबेदार प्रसाद’ बताते हैं कि उनका काम जानवरों के अवशेष उठाकर दूसरी जगह पहुंचाना था लेकिन जब से बूचड़खानों पर ताले लगे हैं तब से वो ठेला चलाकर अपने परिवार का गुज़र बसर कर रहे हैं।
बातचीत के दौरान एक महिला मज़दूर ‘लालती देवी’ कहतीं हैं कि पहले वो साफ सफाई का काम करती थी लेकिन अब उनके पास कोई रोज़गार नहीं है, उनको भूखमरी का सामना कर पड़ रहा है।
सबसे बड़ा सवाल?
बूचड़खाने से जुड़े हिन्दू और मुसलमानों के पास सबसे बड़ा सवाल रोज़गार का है। जिस रोज़गार से वो सदियों और पीढ़ियों से जुड़े थें वो अचानक से बंद हो जाने के कारण उनके पास कमाई का कोई ज़रिया नहीं बचा।
आंदोलन की तैयारी
सियासत से बात करते हुए आॅल इंडिया कुरैश विकास मंच के अध्यक्ष वसीम अहमद बताते हैं कि अप्रेल की 6 तारीख को पूर्वांचल के सभी पेशेवर लोग बनारस में इकट्ठा होने वाले है। उन्होंने कहा कि तब तक अगर उनकी परेशानी पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा।