कौन है वो “कोई औरत” कौन है शाहजादी, अंकित सक्सेना को किसने मारा? 

जिन लोगो ने कथित रूप से अंकित सक्सेना को मारा उन्हे पश्चिम दिल्ली के अघुबीर नगर बी ब्लाक का होना चाहिये. कुछ समाचार पत्रो ने घर का बिल्कुल सही नम्बर भी दिया. उसकी माँ एक ब्यूटी पार्लर चलाती है और पिता एक ड्राइवर है।
यह एरिया राजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र मे पड़ता है जिसमे आम आदमी पार्टी का विधायक है।

पत्रकारिता का नार्म है कि घटना का बिल्कुल बेसिक छानबीन हो एरिया को एक नजर मे देखने से पता चलता है कि वहाँ रघुबीर नगर बी ब्लाक मे कोई मुस्लिम आबादी ही नही है।
ऐसा नही हो सकता कि हत्या की घटना के बाद सारे मुस्लिम एकदम से गायब हो गये. एरिया के लोगो का कहना है कि पिछले 20 साल मे उन्होने कोई मुस्लिम परिवार नही देखा।

दूसरी बात की दीपक अंकित का दोस्त था जो बी ब्लाक मे रहता है. उसका कहना है अंकित उससे रोजाना मिलता था पर वो ऐसी किसी औरत के प्रेम मे नही था! दीपक किसी शाहजादी का नाम नही लिया, वो हमेशा “कोई औरत” शब्द बोलता है. जब उस पर जोर डाला तो बजरंग दल वालो ने उसे बोलने से रोक दिया.
तो कोई औरत थी जिसके साथ अंकित का प्रेम प्रसंग था पर कौन थी वो?

हो सकता है कि अखबारो से गलती हुई हो जब उन्होने लिखा कि शाहजादी का परिवार रघुबीर नगर बी ब्लाक मे रहता था इस हालत मे एरिया के अन्य ब्लाक्स मे रहने वाले मुस्लिम परिवारो को देखते हैं कि क्या उनके परिवार मे कोई शाहजादी है?
आश्चर्यजनक है कि ऐसा कोई नही है. पूरे रघुबीर नगर मे कोई मुस्लिम परिवार नही है जिसके परिवार मे शाहजादी नाम की लडकी हो. ऐसा कोई मुस्लिम परिवार भी नही है जो ब्यूटी पार्लर चलाता हो. ब्लाक सी मे एक बंद पडा ब्यूटी पार्लर जरूर है जो एक मुस्लिम परिवार चलाता था पर वो परिवार 5 साल पहले छोड कर बाहर चला गया.

एक और बात, पलायन किये उस परिवार मे एक लडकी थी जिसका नाम शहाना था शाहजादी नही
क्या अंकित बजरंग दल का सदस्य था? शायद, सीधे नही, पर दीपक , अंकित का दोस्त, बजरंग दल का सदस्य है. स्थानीय लोगो का कह्ना है कि दीपक के खिलाफ एक पुलिस केस भी दर्ज है, पर इस बात की पुष्टि नही हो सकी क्योंकि पुलिस ने बताने से इनकार कर दिया.
दीपक भाजपा नेता मनोज तिवारी के साथ था जब मनोज तिवारी ने वहाँ दौरा किया , अंकित के मा बाप से मिला, और मामले को राजनीतिक रंग दिया ये कहकर कि केजरीवाल मुँह खोले. वो भी तब जबकि केजरीवाल के अंदर दिल्ली पुलिस नही है.

अब अंकित के पैरेंट्स का व्यवहार भी देखते हैं. उसकी मा का कहना है कि अंकित का किसी औरत के साथ सम्बंध नही था. किस औरत की बात हो रही है? उसका कहना है कि जिन परिवारो/लोगो ने उसके बच्चे को मारा है वो गुंडा टाइप लोग थे जो एरिया मे दूसरो को धमकाते थे, मुस्लिम परिवारो को भी.
अंकित के परिवार के बयान भी है कि मामले को साम्प्रदायिक रंग ना दिया जाय. एक हिंदू परिवार जिसने अपना बच्चा खोया है, कितने भी जिम्मेदार हो, क्या इतनी शीघ्रता से कम्यूनल हार्मनी की अपील करेंगे?

चंदन के पिता ने कहा कि उसका बच्चा तिरंगा ले जाने के लिये मारा गया . पूरे समय चंदन के पिता ने राजनीतिक बयान दिये, ये भी एक बच्चा खोये हुये पिता के लिये बेहद असाधारण व्यवहार है . अंततः कासगंज एसपी ने एएनआई पत्रकार को चंदन के पिता को मैनिपुलेट करते गिरफ्तार किया. और अब सुबूत इशारा कर रहे हैं कि चंदन को संघियो ने ही मारा है. चंदन संघी ग्रुप से जुडा था. अंकित भी बजरंग दल कार्यकर्ता के करीब था. चंदन को सम्भवतः उसके अपने लोगो ने मारा.. और अंकित… भी… कहीं अपने लोगो के द्वारा तो नही?

ये कहकर कि “हालात को साम्प्रदायिक रंग मत दीजिये” अंकित के पिता ने भी जिन्हे मैनिपुलेट किया गया, असल मे अंकित हत्या को साम्प्रदायिक रंग ही दिया है!
चंदन और अंकित.. अलग अलग मेथडोलोजी, पर एक जैसा डिजाइन, मुसलमानो को बुरा समुदाय पेंट करने के लिये. दोनो ही केसेज मे, पैटर्न एक जैस अहै, एक हिंदू लडका मारा गया, और संघ की प्रोपगंडा मशीन ने तुरंत मुस्लिम समुदाय पर आरोप बनाने शुरू किये
संघ ने एक नई रणनीति बनाई है शायद.
पहले, साम्प्रदायिक दंगे का सहारा लिया जाता था. फिर संगठित बम ब्लास्ट, 2008 के सीरियल बम ब्लास्ट याद करिये. बाटला हाउस, करकरे का हिंदू आतंकवाद को एक्सपोज करना, और 26/11 मे करकरे का मारा जाना याद करिये. 2008 मे हिंदू दिमागो मे “मुस्लिम आतंकवादी” छवि बनाने का उद्देश्य था. ये असफल रहा और भाजपा 2009 मे सत्ता मे ना आ सकी.
मैने उस दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मै भी उनमे से था जिन्होने वो महत्वपूर्ण ईमेल दुनिया को भेजी थी कि संघ-मोसाद ने मिलकर करकरे को मारा था. एकबार हमने बताया फोर सब वो बात कहने लगे.

करकरे का कत्ल और हमारे द्वारा उसकी कहानी सामने लाने के कारण भाजपा को रोका जा सका
कासगंज मे भी मैने चंदन गुप्ता की हत्या मे संघी हाथ होने का इशारा किया था. उसके बाद कई अफसरो ने बोलना शुरू किया…
अब, चंदन के केस से शुरू कर और फिर अंकित का कत्ल, पैटर्न अब “मुस्लिम आतंकवादी द्वारा बम ब्लास्ट ” रणनीति से आगे “मुस्लिम अकेले लोगो को मार रहे हैं” तक निकल गया है,
पुनः, पहले, बम ब्लास्ट, फिर मुस्लिम आतंकवादी, और अब राज्य द्वारा मुस्लिम निर्दोष लोगो का उत्पीडन का प्लान
ये सब, कांग्रेस शासन मे, संघियो ने खूब किया ताकि हिंदू कांग्रेस से नाराज हो जाँय कि वो मुस्लिम आतंकवाद को रोकने मे असफल हो रही है और मुस्लिम लोग पुलिसिया कार्यवाही मे “निर्दोषो के उत्पीडन” से कांग्रेस से नाराज हो जाँय .
परिणाम, कांग्रेस की बुरी हार और भाजपा की बडी जीत.
2014-17 मे कोई बम ब्लास्ट नही. अब पैटर्न बदलकर मुस्लिमो पर व्यक्तिगत हमले, गौरक्षा के नाम पर खुलेआम हत्या, लव जेहाद, आदि.. हो गया. यूपी की जीत को मुस्लिम पर हिंसा के द्वारा हिंदुत्व की जीत बताया गया. एक मुस्लिम की हत्या करने वाले शम्भू रैगर के फेवर मे कोर्ट पर तिरंगा फहराना और उसकी फिल्म बनाना इस कडी का एक और चरम बिंदु था. इससे साम्प्रदायिक उबाल और तेज होता गया
पर गुजरात और राजस्थान चुनाव परिणामो ने बताया कि ये रणनीति अब काम नही कर रही है. तो इसलिये अब कासगंज से एक नये पैटर्न/रणनीति की शुरात हुई है. “मुस्लिम द्वारा हिंदू की हत्या” एक रैंडम घटना जैसा बनाकर
इसी नजरिये से आगे देखे तो, संघ और इसके विदेशी मालिक अब हिंदू तीर्थयात्रियो या हिंदू समूहो पर हमले की योजना बना रहे हैं. इस तरह, वो 2018-19 मे उम्मीद कर रहे हैं कि हर व्यक्ति मे साम्प्रदायिकता और ध्रुवीकरण हासिल कर लेंगे
ये ऑनरकिलिंग है? सच मे?
और हाँ, उस औरत का क्या जो टीवी मे शाहजादी या अंकित की प्रेमिका बनकर दिखी थी? अंकित के कत्ल के जुर्म मे कौन लोग जेल मे हैं?
ये एक करोडो डॉलर का सवाल है.

इस पोस्ट को Amaresh Misra  की फसबुक वाल से लिया गया है जिसका हिंदी अनुवाद पंडित वी. एस. कुमार  द्वारा किया गया है.