सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट ने तीन IPS अधिकारियों को भेजा नोटिस

मुंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा समेत दो अन्य को सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में नोटिस भेजी है| सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस अब्दुल बदर ने सीबीआई को निर्देश दिया कि तीनों अधिकारियों के आवासीय और आधिकारिक पता रुबाउद्दीन को दिया जाये जिससे यह पता चल सके की नोटिस उन्हें भेज दी गयी है| रूबाबुद्दीन दायर याचिका में कहा था कि अभियुक्त के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई तब तक की जाए जब तक कि उच्च न्यायालय द्वारा उनकी पुनर्विचार याचिकाओं का निर्णय नहीं ले लेता|लेकिन न्यायमूर्ति बदर ने कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते हालाँकि उन्होंने इस याचिका पर सुनवाई तेज़ कर दी है| तीन अधिकारियों को नोटिस जारी कर के।

मुंबई में विशेष सीबीआई अदालत ने फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर दी है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से बाहर होने के मामले में मुकदमे का आदेश दिया था, उसने तीनों अधिकारियों को इस आधार पर छुट्टी दे दी थी कि सीबीआई से मंजूरी पाने में नाकाम रही है या उन्हें मुकदमा चलाने की विशेष अनुमति है और इसलिए, उन पर मुकदमा नहीं चला जा सकता है।  इस साल 29 सितंबर को उच्च न्यायालय में रुबाबुद्दीन की पुनर्विचार याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय की एक अन्य खंडपीठ ने सीबीआई से कहा था कि उसने इस मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के निर्वहन के लिए अदालत के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी।

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे ने कहा था कि सीबीआई को परेशानी होनी चाहिए क्योंकि रुबाउद्दीन ट्रायल कोर्ट के निर्वहन आदेश के साथ थे।इसलिए उन्होंने जांच एजेंसी से पूछा कि क्या वह आईपीएस अधिकारियों राजकुमार पांडियन, दिनेश एम एन और निर्वाचित आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा को निर्वहन करने वाले अदालत के आदेश को चुनौती देने की योजना बना रहा है।

इस साल 24 अक्टूबर को विशेष अदालत ने मामले में हत्या, आपराधिक साजिश और साक्ष्यों के विनाश के 16 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए। सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी को गुजरात में आतंकवाद विरोधी दस्ते द्वारा हैदराबाद से अपहरण कर लिया गया था।शेख को नवंबर 2005 में गांधीनगर के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया था, जिसके बाद उनकी पत्नी गायब हो गई थी।

शेख का सहयोगी प्रजापति  को एन अन्य मुठभेड़ में दिसंबर 2006 में गुजरात के बनसकांठा जिले में छपरी गांव में मार दिया था| उस समय एटीएस का नेतृत्व करने वाले वंजारा पर आरोप लगाया गया था कि सीबीआई ने शेख और अन्य पीड़ितों को मारने के लिए अन्य आरोपी अधिकारियों के साथ साजिश रची और उन्हें एक फर्जी मुठभेड़ के रूप में मार दिया गया|