आज के दौर में जहाँ लोग अपने माँ-बाप को बोझ समझ कर उनको साथ रखने से भी कतराते हैं। वहीँ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो न्याय पाने के लिए अपने बूढ़े माँ-बाप को काँधे पर बांस के झोले पर लादकर कोर्ट लेकर गया।
ये मामला ओडिशा के मयूरभांग जिले का है, जहाँ आदिवासी समुदाय का कार्तिक सिंह पर मोरोडा पुलिस ने 2009 में झूठा केस दर्ज कर फंसा दिया और उसे 18 दिनों तक जेल में बंद रहना पड़ा था।
इस केस में जेल जाने के बाद कार्तिक और उसके परिवार को गांववालों ने बिरादरी से बेदखल कर दिया था। लेकिन अपने मान-सम्मान के लिए कार्तिक और उसका परिवार पिछले 8 सालों से न्याय पाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहा है।
इस मामले में कार्तिक अपने माँ-बाप को करीब 40 किलोमीटर तक चलकर कोर्ट तक लेकर जाता है। क्योंकि वे लोग काफी बूढ़े हो चुके हैं और इतना लंबा सफर पैदल तय नहीं कर सकते।
इसलिए वह अपने माता-पिता का बांस से बने झोले में बैठाकर लेकर जाता है
कार्तिक का कहना है कि इस केस के कारण उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। पढ़ा-लिखा होने के बावजूद, केस के कारण न तो उसे नौकरी मिली और न ही उसकी शादी हो पाई।
इस मामले में एडवोकेट प्रभुदन मरांडी का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसी पर झूठा केस दर्ज कराया गया है। पुलिस ऐसा पहले भी करती रही है।