एसएससी की सीट धड़ल्ले से बेची जा रही है, मगर शिकायतों के बावजूद कमिशन एक्शन नहीं ले रही। इसकी क्या वजह है? क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए? वजीराबाद में रहने वाले अनुराग का कहना है, सुनना तो दूर, हमारी दरियां हटा दी गईं, टॉइलट बंद कर दिए गए, बीच-बीच में कोई पुलिसवाला धमका जाता है, बैरिकेड खिसकाकर हमारी प्रोटेस्ट की जगह छोटी कर दी गई…, ऊपर से कई लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि हमारी मांगें मान ली गई हैं, जबकि एसएससी सिर्फ फरवरी के सीजीएल एग्जाम की सीबीआई जांच कहकर पल्ला झाड़ रहा है। पटना, लखनऊ, इलाहाबाद, चेन्नै समेत पूरे देश में आवाज उठ रही है, तो इसे अनसुना कैसे किया जा सकता है। मगर हम भी हार नहीं मानेंगे और मांगें पूरी ना होने पर आंदोलन रुकेगा नहीं, बल्कि बढ़ता चला जाएगा।
बिहार के रहने वाले एसएससी कैंडिडेट पंकज कहते हैं, कुछ मीडिया चैनल और अखबारों में भी आया है कि हमारी मांग मान ली गई है। लोगों को पता ही नहीं है कि यह एक एग्जाम के पेपर लीक का मामला नहीं है, बल्कि एसएससी के बाकी एग्जाम की सीट धांधली का भी मुद्दा है। मेरा खुद 16 मार्च को सीएचएसएल का एग्जाम है मगर फिर भी मैं अपने भविष्य के लिए यहां 7 दिनों से लगातार रात-दिन धरने पर हूं। यह वही एग्जाम है, जिसमें एक कैंडिडेट के एक सेंटर के 700 एडमिट कार्ड जारी हुए हैं। क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए?
नजफगढ़ से आईं सीमा त्यागी कहती हैं, क्या बेरोजगार यंगस्टर्स प्रधानमंत्री मोदी को दिख नहीं रहे हैं? 24 घंटे हम यहां हैं, सड़क पर सो रहे हैं, लंगर में खा रहे हैं, रोज कोई ना कोई बीमार होकर अस्पताल जा रहा है, तो फिर उन्होंने क्यों चुप्पी साधी हुई है? मैं ग्रैजुएशन के बाद से एक साल से सीजीएल की तैयारी कर रही हूं, मगर आज मुझे लग रहा है कि मेरा भविष्य कुछ है ही नहीं क्योंकि इतने दिनों से सरकार का कोई भी शख्स हमारे बीच नहीं आया।