सेना मे 18 साल नौकरी करने के बाद एक और सैनिक अहमद से माँगा गया नागरिकता का प्रमाण

पिछले महीने सेना से सेवानिवृत्त हुए  एक जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर अजमल हक को नागरिकता का प्रमाण देने के लिए नोटिस दिया गया था असम के ही कामरूप जिले में ऐसा ही नोटिस दिया गया था। बाद में असम के डीजीपी मुकेश सहाय ने कहा था कि पहचानने में गलती को कारण ऐसा हुआ।  अब ऐसा और एक मामला सामने आया है। ख़बर के मुताबिक  सेना में 18 साल हवलदार की नौकरी करने के बाद असम के एक पूर्व सैनिक और उनकी पत्नी से उनकी नागरिकता का प्रमाण मांगा गया है। उनसे बारपेटा जिले के विदेशी ट्राइब्यूनल ने यह प्रमाण मांगा है। अब मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।

2004 में सेवानिवृत्त हुए मेहरुद्दीन अहमद और उनकी पत्नी हुस्नायरा को 16 सितंबर को ट्राइब्यूनल द्वारा नोटिस दिया गया। नोटिस में कहा गया कि दोनों बिना वैध दस्तावेजों के 25 मार्च 1971 के बाद भारत में आए। उनसे 6 नवंबर को कोर्ट के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।

नोटिस से हैरान अहमद ने इसे प्रताड़ना बताते हुए कहा, ‘जब आपने अपनी पूरी जिंदगी देश के नाम कर दी हो, फिर ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि उनके परिवार में कभी किसी को ऐसा कोई नोटिस नहीं दिया गया।

1986 में सेना में भर्ती हुए थे अहमद। वह देशभर में कई स्थानों पर पोस्ट किए जा चुके हैं। साल 2004 में रिटायरमेंट के समय वह पंजाब के बठिंडा में पोस्टेड थे। वह बारपेटा के ही रहने वाले हैं। उनकी पत्नी हुस्नायरा भी बारपेटा में जन्मी थीं। उनके माता-पिता का नाम 1966 में हुए चुनावों की सूची में भी था। डीजीपी सहाय ने बारपेटा के एसपी से मामले की जांच करने के लिए कहा है।