सभी राज्य सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए एनएसए का गलत इस्तेमाल कर रही है

असम के कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भीमसेना के चंद्रशेखर कई महीनों से अब तक गिरफ्तार हैं। अखिल को 13 सितंबर को राज्य के बीजेपी सरकार द्वारा देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 25 सितंबर को, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत उनके खिलाफ कुल 122 मामले एक साथ मिलकर एकत्र किए गए थे।

राज्य के एनएसए सलाहकार समिति ने 1 9 नवंबर को अखिल की नजरबंदी को मंजूरी दे दी थी, जिससे उसे कम से कम 12 महीने के लिए सजा सुनाई गई थी। अखिल गोगोई भाजपा सरकार के मुख आलोचक रहे हैं और नागरिकता (संशोधन) बिल 2016 में संशोधन के खिलाफ एक बैठक में उनके संबोधन के लिए गिरफ्तार किया गया था।

बयान में कहा गया था , ‘इन्होंने अपने भाषण में आम लोगों को देश के खिलाफ हथियार उठाने की बात की थी और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की भी बात की।’  इससे पहले भी गोगोई को अलग अलग अरोपों में कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है।

भीमसेना के चंद्रशेखर को 8 जून को सहारनपुर शहर में एक दलित जनता की बैठक के दौरान हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।  यह परदर्शन हिंदुओं की भीड़ द्वारा शब्बीरपुर गांव के दलित के घरों को जलाने के विरोध में बुलाया गया था। 2 नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दी, उनके खिलाफ ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ होने के आरोप आरोप लगाए गए थे। लेकिन न्यायिक प्रक्रिया चलाने के बजाय योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार ने उन्हें अगले दिन एनएसए ने उसे गिरफ्तार कर लिया।जाहिर है, यूपी सरकार उन्हें उचित निर्णय देने की बजाय उन्हें जेल में रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

जाहिर है, आज एनएसए को राज्य सरकार के ज़रिए नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है  ।