मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से रोहिंग्या मुसलमानों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया हलफनामा सांप्रदायिकता के आधार पर दिया गया एक बयान है।
उन्होंने सरकार से मांग किया है कि केंद्र सरकार इस मामले में अपनी पूर्व परंपराओं के मुताबिक इंसानियत की आधार पर शरणार्थियों को देश में बसने की इजाजत दे। मुंबई में जारी एक बयान में आरिफ नसीम खान ने कहा कि केन्द्रीय सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश में रहने को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है, जबकि सच यह है कि वह हिंसा व अत्याचार का शिकार हुए और उन्होंने अपने देश को मजबूरी में छोड़ा है।
नसीम खान ने कहा कि आज़ादी के बाद भारत ने कई परिस्तिथियों में शरणार्थीयों को अपने देश में रहने की अनुमति दी गई है। मोदी सरकार ने सांप्रदायिकता का आइना लगा कर जो यह हलफनामा दायर किया है। यह देश की सभी पिछली परंपराओं को तोड़ चुका है।
गौरतलब है कि इस संबंध में नसीम खान ने राष्ट्रपति को भी एक पत्र भेजा था और मांग की थी कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में मानवीय आधार पर रहने की अनुमति दी जाए जैसा कि अतीत में विभिन्न देशों से उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों को आश्रय दिया गया।