आंकड़ों की पड़ताल : वास्तव में सरकारी नौकरियां घटी हैं

रोजगार के आंकड़ों को लेकर केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि सरकारी नौकरियां कम हो रही हैं।
अगर आंकड़ों की पड़ताल करें तो यह बात वाकई सही लगती है कि ज्यादा सरकारी नौकरियां नहीं हैं।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी संगठित क्षेत्र ( सरकारी और निजी) में 1971-72 से 2011-12 के दौरान के रोजगार के आंकड़े बताता है। 1971-72 में सार्वजनिक क्षेत्र में 62.54 फीसदी नौकरियां थी जो 2011-12 में घटकर 59.53 फीसदी रह गईं।

अस्सी के दशक तक सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार बढ़ रहा था। पर नब्बे के दशक में उदारीकरण की नीति आने के बाद तस्वीर बदलने लगी।

इसके बाद भारत सरकार आर्थिक गतिविधियों के कई क्षेत्रों से अपना हाथ खींचने लगी। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का बयान अपवाद हो सकता है जो ईमानदार बयान है।

यह तथ्य है कि संगठित क्षेत्र में कुल रोजगार सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार की तुलना में तेज गति से बढ़ा है। निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है। निजी क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार की बात करें तो वह आईटी के क्षेत्र में आया है।