हज़रत मारिया (रजि.) की कहानी : कैसे एक ईसाई दासी से बनीं पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) की बीवी

इस्लामिक तारीख के अनुसार हजरत मारिया (रजि.) पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) की पत्नियों में से एक पत्नी थी। उनको इब्राहिम नामक एक पुत्र हुआ था जिसकी कम उम्र में ही मृत्यु हो गई थी। हज़रत मारिया (रजि.) की पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) के साथ हुई शादी की दिलचस्प कहानी है।

हज़रत मारिया (रजि.) पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) की कॉप्टिक ईसाई पत्नी थीं। हजरत मारिया (रजि.) मिस्र की थीं और 7 वीं हिजरी के दौरान तत्कालीन मिस्र के नेता ने उनको दासी के तौर पर पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) को दे दिया था।

इस दौरान इस्लाम विभिन्न देशों में फैल रहा था। इस्लाम के निमंत्रण के साथ हत्तीब बिन अबी बेल्ता को पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) के आदेश पर मिस्र के शासक के पास भेजा गया था। उस समय मिस्र के शासक अल मुकाव्की ने हत्तीब बिन अबी बेल्ता को उपहार के साथ वापस भेजा था।

अपने सन्देश में उन्होंने पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) को संबोधित किया कि सबसे महान कॉप्ट ने संदेश को समझ लिया है। उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के संदेश का सम्मान किया और यह सुनिश्चित किया कि वह आखिरी पैगंबर को जानता है।

उन्होंने कहा कि वह ऐसे उपहार भेज रहे हैं जो एक कॉप्ट के लिए बहुत मूल्यवान हैं। उन्होंने पैगंबर को सवारी करने के लिए एक खच्चर और 20 कपड़े भी भेजे थे। अन्य उपहारों में दो कॉप्टिक दासी और सोने के एक हजार बैग थे। ये दोनों दासियां शमऊन की बेटियां हजरत मारिया बिन्ते शामुन और सेरीन थीं।

पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) ने अपने जीवनसाथी के रूप में हजरत मारिया (रजि.) को चुना। दूसरी बहन सेरीन को हसन इब्न ताबित को भेंट की गई थी जो एक कवि थे। पैगंबर मोहम्मद (सल्ल.) की मिस्र की पत्नी शेख एबादा नामक गांव में पैदा हुई थी।

दिलचस्प तथ्य यह है कि गांव में अभी भी हज़रत मारिया के घर के अवशेष हैं। हज़रत मारिया के नाम पर यहां एक मस्जिद की स्थापना की गई। एबादा गांव बहुत दिलचस्प स्मारकों से बना है। ये स्मारक प्राचीन मिस्र, रोमन, कॉप्टिक और इस्लामी मूल के हैं।