ईरान के लिए रणनीति : भारत-अमेरिका होंगे साथ-साथ

आने वाले महीनों में भारत और अमेरिका दो बार स्थगित 2+2 वार्ता आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं और जल्द ही ईरान से तेल आयात करने के लिए छूट पर ट्रम्प प्रशासन के साथ खड़े होंगे।

उत्तर कोरिया अमेरिका के लिए प्राथमिकता है और राज्य सचिव माइक पोम्पेओ 5 और 7 जुलाई के बीच प्योंगयांग यात्रा करेंगे। दूसरी बार 2+2 वार्ता के पहले दौर की स्थगन को मजबूर कर देगा। हालांकि, दोनों पक्ष प्रक्रिया के परिचित व्यक्तियों के मुताबिक आने वाले महीनों में बातचीत करने की तैयारी कर रहे हैं।

हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका ईरान से तेल आयात में कटौती करने के लिए भारत पर दबाव डाल रहा है लेकिन भारत इस मामले को अमेरिकियों को समझाएगा। ऊपर उद्धृत व्यक्तियों में से एक ने कहा कि आखिरकार, भारत को अपने राष्ट्रीय हित को देखना है। ईरान हमारे लिए एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है। भारत ईरानी तेल के आयात को रोक नहीं रहा है।

भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने ईरानी समकक्ष को सूचित किया था कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रावधानों का अध्ययन कर रहा है। ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ की भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि भारत की विदेश नीति किसी देश के दबाव में नहीं चलती।

उनका यह भी कहना था कि भारत केवल उन्हीं प्रतिबंधों का पालन करेगा जो संयुक्त राष्ट्र ने ईरान पर लगाए थे। स्वराज के मुताबिक अमेरिका के प्रतिबंधों के बाद भी भारत ईरान से व्यापार करता रहेगा। अमेरिका से अगले महीने ईरान मुद्दे पर भारत सहित कई देशों के साथ जुड़ने की उम्मीद है।

भारत और ईरान मामलों के कुछ जानकार भारत के रुख के पीछे कई कूटनीतिक कारण भी बताते हैं। पहला बड़ा कारण ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह है जो . भारत के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है।

चाबहार के जरिये भारत इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को भी कुछ हद तक कम करने के प्रयास में है, जो चाबहार के नजदीक ही पाकिस्तानी क्षेत्र में ग्वादर बंदरगाह का निर्माण करवा रहा है।